12-12-2017, 05:46 AM
यह मेरी काल्पनिक कहानी है...मैंने आज तक कोई कहानी लिखी नहीं..कुछ गलती रहे तो please ignore .
मार्किट की मुलाकात...
मैं संदीप...पर सैंडी नाम से दोस्तों में परिचित हु. कॉलेज ख़तम होते ही छोटी सी नौकरी पे लगा..६००० महीने के कमाता हु. जिम्मेदारी और कोई शौक ना होनेसे मेरा इतने में चल जाता है. २० साल की उम्र में इतना पैसा मेरे लिए काफी है....काम के सिलसिले में मेरे शेठ ने इस छोटे शहर में ट्रांसफर किया.
एक छोटा सा हफ्ता बाजार, जो की अपने देश में आज भी होता है जहा छोटे छोटे गांव के लोग हफ्ते में एक बार खरीदारी के लिए आते है. मैं और मेरे दोस्त खरीदारी के चक्कर में एक गली में आ गए. जहा पे रस्ते पे छोटे दुकानदार अपनी दुकाने बिछाए हुए थे. इतने में एक जगह से आवाज पूछते हुए आयी..तुम्हे कही पैसे गिरे हुए मिले ? मुझसे यही पर कही गिर गए है!!! एक 35-४0 के आसपास की उम्र की औरत पूछ रही थी. हमने भी ढूंढ़ने की कोशिश की पर कुछ नहीं मिला. बहोत ढूंढ़ने किए बाद वो औरत औरत निराश होके आगे चली गयी. कुछ देर बाद वो औरत एक दुकानदार से गिडगिडाके कुछ किराना सामान उधर पे मांग रही थी पर दुकानदार बड़ी बेदरदी से उसे नकार रहा था. वो निराश हो के एक जगह बैठ गयी. हम लोग आगे निकले पर वो औरत की तस्वीर नज़र हैट नहीं रही थी. मैं दोस्तों की आगे निकलने बोलै और वो औरत को ढूंढ़ने लगा. वो अभी भी वही बैठी थी...दुकान के पास. मैंने उसे पूछा..क्या आपके पैसे मिले..? उसने मेरी तरफ देखते हुए गर्दन हिलाई और रोने लगी. मेरे पास खाना बनाने के लिए कुछ सामान नहीं है...मेरे पास दो सौ रूपये थे ..पर वो भी कही गिर गए. क्या तुम कुछ मदद कर सकते हो..? मैंने उसे अपने जेब से पांच सौ का नोट दिया...और वहा से निकला.
शाम को कुछ खाके अपने छोटे से किराये के घर पंहुचा...दिमाग से वो औरत जा नहीं रही थी..पलंग पे लेटे लेटे उसके ख्याल आ रहे थे..औरत बड़ी उम्र की थी पर खूबसूरत थी..काला ब्लाउज और पिले कलर की काष्टें की साड़ी(महाराष्ट्र की गावो में आज भी ऐसे साडी पहनी जाती है). उसके उरोज काफी बड़े थे..गोरीसी थी..और साडी में गांड भी मस्त मोटी लगती थी. शहरो की औरतो की तरह मेकअप होता..तो बेहद खूबसूरत लगती. पता नहीं पर ..मैं वो शरीर देखकर आकर्षित हो रहा था.
मार्किट की मुलाकात...
मैं संदीप...पर सैंडी नाम से दोस्तों में परिचित हु. कॉलेज ख़तम होते ही छोटी सी नौकरी पे लगा..६००० महीने के कमाता हु. जिम्मेदारी और कोई शौक ना होनेसे मेरा इतने में चल जाता है. २० साल की उम्र में इतना पैसा मेरे लिए काफी है....काम के सिलसिले में मेरे शेठ ने इस छोटे शहर में ट्रांसफर किया.
एक छोटा सा हफ्ता बाजार, जो की अपने देश में आज भी होता है जहा छोटे छोटे गांव के लोग हफ्ते में एक बार खरीदारी के लिए आते है. मैं और मेरे दोस्त खरीदारी के चक्कर में एक गली में आ गए. जहा पे रस्ते पे छोटे दुकानदार अपनी दुकाने बिछाए हुए थे. इतने में एक जगह से आवाज पूछते हुए आयी..तुम्हे कही पैसे गिरे हुए मिले ? मुझसे यही पर कही गिर गए है!!! एक 35-४0 के आसपास की उम्र की औरत पूछ रही थी. हमने भी ढूंढ़ने की कोशिश की पर कुछ नहीं मिला. बहोत ढूंढ़ने किए बाद वो औरत औरत निराश होके आगे चली गयी. कुछ देर बाद वो औरत एक दुकानदार से गिडगिडाके कुछ किराना सामान उधर पे मांग रही थी पर दुकानदार बड़ी बेदरदी से उसे नकार रहा था. वो निराश हो के एक जगह बैठ गयी. हम लोग आगे निकले पर वो औरत की तस्वीर नज़र हैट नहीं रही थी. मैं दोस्तों की आगे निकलने बोलै और वो औरत को ढूंढ़ने लगा. वो अभी भी वही बैठी थी...दुकान के पास. मैंने उसे पूछा..क्या आपके पैसे मिले..? उसने मेरी तरफ देखते हुए गर्दन हिलाई और रोने लगी. मेरे पास खाना बनाने के लिए कुछ सामान नहीं है...मेरे पास दो सौ रूपये थे ..पर वो भी कही गिर गए. क्या तुम कुछ मदद कर सकते हो..? मैंने उसे अपने जेब से पांच सौ का नोट दिया...और वहा से निकला.
शाम को कुछ खाके अपने छोटे से किराये के घर पंहुचा...दिमाग से वो औरत जा नहीं रही थी..पलंग पे लेटे लेटे उसके ख्याल आ रहे थे..औरत बड़ी उम्र की थी पर खूबसूरत थी..काला ब्लाउज और पिले कलर की काष्टें की साड़ी(महाराष्ट्र की गावो में आज भी ऐसे साडी पहनी जाती है). उसके उरोज काफी बड़े थे..गोरीसी थी..और साडी में गांड भी मस्त मोटी लगती थी. शहरो की औरतो की तरह मेकअप होता..तो बेहद खूबसूरत लगती. पता नहीं पर ..मैं वो शरीर देखकर आकर्षित हो रहा था.