12-05-2018, 05:56 PM
अब रचना उठती है और अपने ब्लाउज को पहन कर उसके बटन लगाने लगती हैं तब सौरव उसके हाथों को पकड़ के रोक लेता है और कहता है माँ इन्हें ऐसे ही रहनेदो ना ....
रचना - पागल हो गया है क्या रवि घर पर ही है तो सौरव फटाक से कहता है कि मैं उसके दरवाजे की कुंडी बाहर से लगा देता हूं वो जब उठेगा तो तुम्हे या मुझे आवाज जरूर लगाएगा तब मैं उसे खोल दूंगा और फिर से जिद्द करने लगता है कि प्लीज मा । तब रचना कहती हैं कि ठीक है और वो वापिस से ब्लाउज उतार करऊपर से नंगी हो जाती है और किचन में चली जाती है और सौरव हॉल में बैठ कर अपनी माँ को नंगी काम करते हुए देखते रहता है........रचना की हिलती हुई चुचिया सौरव के लन्ड को अकड़ने पर मजबूर कर रही थी औरजब सौरव को बर्दाश्त नही हुआ तो वो अपने लन्ड को बाहर निकाल कर हिलाने लगा काम करते करते जब रचना अचानक से पलटी तो सौरव को और उसके लन्ड को देख के वो पिघलने लगी और कुछ देर तक वो उसे ऐसे ही नीहारती रही फिर सौरव उसे देख कर हस दिया तब रचना उसे अपनी आंखें दिखा कर वापिस अपने काम मे लग गयी.....।दोपहर का खाना तैयार करने के बाद रचना वापिस हॉल में आई तब तक सौरव वहीलन्ड निकले सोफे पे बैठ कर टीवी पे गाने देख रहा था मगर उसका ध्यान टीवी पर कम रचना पे ज्यादा था.....रचना जब उसके पास आई तो सौरव से बोली कि जा रवि को उठा दे और फिर खाना खाते है सब मिल कर....तब सौरव ने रचना को झुकने को कहा और उसके झुकते ही उसकी चुचियो को वापिस से मुह में भर लिया और रचना एक बार फिर से पागल होने लगी.....उससे खड़ाहोना मुश्किल हो रहा था तब उसने जबरदस्ती अपनी चुचिया सौरव के मुह से छुड़ा कर कहती है क्या है सौरव जा तेरे भाई को उठा दे उसे चोट लगी है खाना खिला दूंगी।
सौरव - मा तुम खुद जाओ ना मैं इसे ऐसे कैसे ले कर जाऊ....(उसका इशारा खड़े लन्ड की तरफ था)......
रचना - और मैं ऐसे जाऊ..... गधा....चल जा और वो सौरव के कमरे में जाति है जहाँ उसकी ब्लाउज उतरी हुई थी.....कमरे में आने के बाद वो सोची की वो कितनी गलत थी सौरव क्या था और क्या समझ बैठी थी और साथ ही साथ किचन में नंगी चुचिया हिला हिला कर काम की ये सब उस्की चूत को और भी गीली बना रहे थे....
रचना - पागल हो गया है क्या रवि घर पर ही है तो सौरव फटाक से कहता है कि मैं उसके दरवाजे की कुंडी बाहर से लगा देता हूं वो जब उठेगा तो तुम्हे या मुझे आवाज जरूर लगाएगा तब मैं उसे खोल दूंगा और फिर से जिद्द करने लगता है कि प्लीज मा । तब रचना कहती हैं कि ठीक है और वो वापिस से ब्लाउज उतार करऊपर से नंगी हो जाती है और किचन में चली जाती है और सौरव हॉल में बैठ कर अपनी माँ को नंगी काम करते हुए देखते रहता है........रचना की हिलती हुई चुचिया सौरव के लन्ड को अकड़ने पर मजबूर कर रही थी औरजब सौरव को बर्दाश्त नही हुआ तो वो अपने लन्ड को बाहर निकाल कर हिलाने लगा काम करते करते जब रचना अचानक से पलटी तो सौरव को और उसके लन्ड को देख के वो पिघलने लगी और कुछ देर तक वो उसे ऐसे ही नीहारती रही फिर सौरव उसे देख कर हस दिया तब रचना उसे अपनी आंखें दिखा कर वापिस अपने काम मे लग गयी.....।दोपहर का खाना तैयार करने के बाद रचना वापिस हॉल में आई तब तक सौरव वहीलन्ड निकले सोफे पे बैठ कर टीवी पे गाने देख रहा था मगर उसका ध्यान टीवी पर कम रचना पे ज्यादा था.....रचना जब उसके पास आई तो सौरव से बोली कि जा रवि को उठा दे और फिर खाना खाते है सब मिल कर....तब सौरव ने रचना को झुकने को कहा और उसके झुकते ही उसकी चुचियो को वापिस से मुह में भर लिया और रचना एक बार फिर से पागल होने लगी.....उससे खड़ाहोना मुश्किल हो रहा था तब उसने जबरदस्ती अपनी चुचिया सौरव के मुह से छुड़ा कर कहती है क्या है सौरव जा तेरे भाई को उठा दे उसे चोट लगी है खाना खिला दूंगी।
सौरव - मा तुम खुद जाओ ना मैं इसे ऐसे कैसे ले कर जाऊ....(उसका इशारा खड़े लन्ड की तरफ था)......
रचना - और मैं ऐसे जाऊ..... गधा....चल जा और वो सौरव के कमरे में जाति है जहाँ उसकी ब्लाउज उतरी हुई थी.....कमरे में आने के बाद वो सोची की वो कितनी गलत थी सौरव क्या था और क्या समझ बैठी थी और साथ ही साथ किचन में नंगी चुचिया हिला हिला कर काम की ये सब उस्की चूत को और भी गीली बना रहे थे....