Click Here to Verify Your Membership
First Post Last Post
Incest चुत एक पहेली (Completed)

(10-03-2018, 08:05 PM)rajbr1981 : fantastic update bro

Thank you keep supporting...

Quote

अपडेट  २९

अब तक आपने पढ़ा..

अर्जुन- अच्छा ठीक है.. मगर तू बस घाव ही देखना.. और कुछ नहीं वरना डर जाएगी.. हा हा हा हा..
मुनिया- चल चल.. बड़ा आया ऐसा क्या है तेरे पास.. जो मैं डर जाऊँगी?
अर्जुन- अब तुझे क्या बताऊँ.. चल तू पैन्ट निकाल.. जब तू बेईमानी करेगी तो तेरे मुँह से चीख निकलेगी.. तब पता चल जाएगा.. कि तू डरती है या नहीं..
मुनिया- चल ज़्यादा डींगें ना मार.. अब तू आँखें बन्द कर.. मुझे तेरी पट्टी करनी है।
अर्जुन ने अपनी आँखें बन्द कर लीं और मुनिया धीरे-धीरे उसकी पैन्ट उतारने लगी।

अब आगे..

मुनिया अपनी नजरें नीचे किए हुए थी और उसने घुटनों तक पैन्ट उतार दी.. मगर मुनिया अब कुँवारी लड़की नहीं बल्कि चुदी-चुदाई हुई थी.. तो लाजमी है कि उसकी जिज्ञासा अर्जुन के लंड को देखने की जरूर होगी और हुआ भी वैसा ही.. उसने डरते हुए निगाह ऊपर की तो लौड़े को देख कर उसके दिमाग़ में झनझनाहट पैदा हो गई.. क्योंकि अर्जुन का लौड़ा मुरझाया हुआ भी काफ़ी बड़ा और मोटा दिख रहा था और उसकी नजरें वहीं जम गईं।

अर्जुन- उफ्फ.. मुनिया.. जल्दी कर ना दुःखता है.. मैं आँखें खोल लूँ क्या?
मुनिया जैसे नींद से जागी हो.. उसने अर्जुन को मना किया और जल्दी से पास पड़े कपड़े को हाथ में लिया.. उसको दो टुकड़ों में किया.. एक टुकड़े से वो अर्जुन की जाँघ पर लगा खून साफ करने लगी।

अब अर्जुन कोई बच्चा तो था नहीं.. एक जवान लड़की के हाथ का स्पर्श उसको गर्म करने लगा.. उसके जिस्म में करंट पैदा हो गया.. जिसका सीधा असर उसके लौड़े पर पड़ा और वो धीरे-धीरे अकड़ने लगा।
अर्जुन- मुनिया जल्दी कर ना.. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा.. ज़ोर की पेशाब लगी है.. जल्दी कर..
मुनिया- अरे बस हो गया.. खून को साफ करके ही पट्टी बांधूगी ना.. अब बस थोड़ी देर रूको..

मुनिया दूसरे टुकड़े को उसकी जाँघ पर बाँधने लगी और उसके नर्म हाथों का स्पर्श लौड़े को बेकाबू करने लगा। वो अकड़ कर अपने पूरे आकर में आ गया जो करीब 9″ लंबा और इतना मोटा था कि हाथ की हथेली में भी ना समा पाए।

जब मुनिया ने पट्टी बाँध दी तो उसकी नज़र दोबारा ऊपर गई.. तब तक लौड़ा किसी खंबे की तरह खड़ा हो गया था.. जिसे देख कर मुनिया के मुँह से निकला- हे राम ये क्या है?

अर्जुन ने झट से आँखें खोल लीं और अपने हाथों से लौड़े को छुपाने की कोशिश करने लगा। मुनिया ने चेहरा दूसरी तरफ़ किया हुआ था और वो हँस रही थी।
अर्जुन- मुनिया की बच्ची.. मैंने मना किया था ना.. ऊपर मत देखना तूने क्यों देखा?
मुनिया- हा हा हा.. अब नज़र पड़ गई तो मैं क्या करूँ और इतना भोला तू भी मत बन.. तेरे मन में जरूर कुछ गंदा होगा.. तभी ये ऐसे बांस के जैसा खड़ा हो गया।

अर्जुन- मुनिया कुछ दिन पहले तक तो तू बहुत भोली-भाली बनती थी.. अब तुझे इतना कैसे पता चल गया रे.. और मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था.. बस तेरे छूने से ये ऐसा हो गया।
मुनिया- अब वक़्त के साथ बहुत कुछ सीखना पड़ता है.. और मैंने तो बस पट्टी बांधी है.. अब इतने से ये खड़ा हो गया तो मैं क्या करूँ?
अर्जुन- अरे तेरे हाथों में बहुत गर्मी है.. ये बेचारा क्या करता.. तुझे सलाम देने लगा.. हा हा हा..

मुनिया- चल चल.. अब ज़्यादा बन मत.. इसे पैन्ट में बन्द कर.. नहीं तो कोई आ गया ना.. तो सारी हेकड़ी निकल जाएगी।
अर्जुन- अरे मुझसे जब पैन्ट निकली नहीं गई तो पहनूँगा कैसे.. अब तू ही पहना दे ना..
मुनिया- मैं पहनाऊँगी तो तेरा खंबा मुझे दिखेगा ना..
अर्जुन- अब तूने देख तो लिया.. अब एक बार देख या दो बार.. क्या फ़र्क पड़ता है..? चल इधर देख और पहना दे..

मुनिया पलट गई और अर्जुन की पैन्ट पहनाने लगी.. अर्जुन ने अभी भी लौड़े को हाथ से छुपाया हुआ था.. जिसे देख कर मुनिया मुस्कुरा रही थी।
पैन्ट तो मुनिया ने कमर तक पहना दी मगर उसका हुक कैसे बन्द करे। इतना बड़ा शैतान तो बाहर खड़ा उसको घूर रहा था।

मुनिया- अब हुक कैसे बन्द होगा.. इसको बैठाओ.. कैसा खड़ा है बदमाश कहीं का..
अर्जुन- अब इसको कैसे बैठाऊँ.. ये मेरे बस का नहीं.. तू पकड़ कर अन्दर कर दे ना इसको..
मुनिया- चल हट बदमाश.. मैं क्यों पकडूँ इसको.. तू उसको पकड़ाना.. जिसको पसन्द करता है और मुझे उसका नाम भी नहीं बताता।

अब कमरे का माहौल थोड़ा गर्म हो गया था और अर्जुन की नीयत मुनिया पर बिगड़ गई थी।
अर्जुन- मुनिया तू पागल है क्या.. मैं क्यों किसे को पसन्द करूँगा.. बचपन से लेकर आज तक बस मेरे दिल में तू ही बसी हुई है..
मुनिया- हा हा हा.. चल झूठा.. तुम सब लड़के ऐसे ही होते हो.. लड़की को अकेला देखा नहीं.. कि बस प्यार जताने लग जाते हो तुम सब..
अर्जुन- अच्छा बहुत लड़कों को जानती है रे तू मुनिया?
मुनिया- चल चल.. मैं क्यों किसी को जानूँ.. अब बन मत.. इसको अन्दर कर ले..
अर्जुन- अरे मुझसे नहीं होगा.. तू करती है तो कर.. नहीं तो जा.. मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे.. समझी..

मुनिया- तू सच में मुझे पसन्द करता है क्या अर्जुन?
अर्जुन- हाँ मुनिया.. तेरी कसम.. मेरे दिल में बस तू ही है।
मुनिया- अच्छा अच्छा.. तू अपनी आँख बन्द कर.. मैं इसको अन्दर कर देती हूँ और आँख ना खोलना.. नहीं तो ठीक ना होगा.. देख लेना तू..
अर्जुन- ठीक है.. चल आ जा अब तू..

अर्जुन ने अपने हाथ लौड़े से हटा कर आँखों पर रख लिए और आने वाले पल के बारे में सोच कर वो उत्तेजित होने लगा।
उसकी यह उत्तेजना उसके लंड पर असर करने लगी.. वो झटके खाने लगा।
मुनिया लौड़े को देखे जा रही थी और उसको अपनी चुदाई का मंज़र याद आने लगा था।

अर्जुन- क्या हुआ.. कहा गई तू.. मेरी आँख बन्द है.. कुछ दिख भी नहीं रहा तू कर रही है या नहीं..
मुनिया- अरे तेरे पास ही बैठी हूँ.. रुक ना.. सोचने दे इस खंबे को कैसे अन्दर करूँ?
अर्जुन- अरे कैसे कैसे.. इसको पकड़ और ऊपर की तरफ़ करके हुक बन्द कर दे.. उसके बाद जिप बन्द कर देना।
मुनिया- अरे ऐसे कैसे अन्दर होगा.. अब तू चुप कर.. नहीं तो मैं चली जाऊँगी।

उसके बाद अर्जुन कुछ नहीं बोला और मुनिया ने लौड़े को जड़ से पकड़ कर अपना हाथ ऊपर की तरफ़ लिया.. जैसे उसको प्यार से सहला रही हो.. वैसे तो लौड़ा उसकी हथेली में नहीं समा पा रहा था.. मगर मुनिया ने कैसे भी करके उसको पकड़ ही लिया।

मुनिया के मुलायम हाथ के स्पर्श से लौड़ा ख़ुशी के मारे झूमने लगा और अर्जुन की सिसकी निकल गई।
अर्जुन- ओह्ह.. ससस्स आह्ह…. मुनिया.. क्या कर रही है.. गुदगुदी होती है जल्दी कर..
मुनिया- अरे क्या जल्दी करूँ.. यह इतना बड़ा और कड़क हो रहा है.. ऐसे अन्दर नहीं जाएगा.. तू इसको छोटा कर पहले.. इसके बाद यह अन्दर जाएगा..
अर्जुन- अरे पागल है क्या… मैं कैसे छोटा करूँ.. यह अपनी मर्ज़ी का मालिक है.. अब इसको ठंडा करके ही छोटा किया जा सकता है.. समझी…

मुनिया को अब इतना तो पता चल ही गया था कि ठंडा होना किसे कहते है। मगर वो अर्जुन के सामने भोली बन कर बोली- ये ठंडा कैसे होगा?
अर्जुन- तू इसको ऐसे ही प्यार से सहलाती रह.. इसमें से दूध निकलेगा और यह ठंडा हो जाएगा।
मुनिया- चल झूठा ऐसा भी होता है क्या.. इसमें कहाँ से दूध आएगा?
अर्जुन- तू बहुत भोली है मुनिया.. तुझे कुछ नहीं पता.. चल तू इसको सहलाती रह.. खुद देख लेना कि दूध आता है या नहीं..

मुनिया कुछ नहीं बोली और बस लौड़े को प्यार से हिलाने लगी.. उसका मन बहुत ललचा रहा था कि उसको मुँह में लेकर चूसे.. मगर वो अर्जुन के सामने खुलना नहीं चाहती थी।
मुनिया- क्या अर्जुन.. अभी तक तो आया ही नहीं..

अर्जुन- अरे इतनी आसानी से नहीं आएगा.. तू करती रह.. ऐसा कर इसको थोड़ा गीला कर अपने थूक से.. उसके बाद देख कैसे मज़ा आता है।

मुनिया से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. वो ज़्यादा बहस नहीं करना चाहती थी, उसको जल्द से जल्द लौड़ा चूसना था।
मुनिया- कैसे करूँ.. मेरा तो थूक भी आ ही नहीं रहा।
अर्जुन- मुनिया बुरा ना माने.. तो एक बात कहूँ.. इसको मुँह में लेकर गन्ने की तरह चूस.. तुझे बहुत मज़ा आएगा और दूध भी जल्दी निकल जाएगा।
मुनिया- छी:.. यह कोई मुँह में लेने की चीज़ है क्या?
अर्जुन- अरे मुनिया शहर में लड़की मुँह में लेकर ही मज़ा देती हैं.. तू एक बार लेकर तो देख..
मुनिया- अच्छा तो तूने शहर में किसी के मुँह में दिया है क्या?
अर्जुन- अरे नहीं.. मैंने किसी को देखा था। अब तू ये सब बाद में पूछना पहले इसको चूस.. मेरी हालत खराब हो रही है।

मुनिया ने धीरे से तो सुपारे को मुँह में लिया और उस पर जीभ फिराई तो अर्जुन जन्नत की सैर पर निकल गया।
अर्जुन- इससस्स.. आह्ह.. मुनिया उफ्फ.. और ले अन्दर तक.. आह्ह.. मैंने सोचा भी नहीं था तेरे मुलायम होंठ मेरे लौड़े पर कभी होंगे आह्ह…

Quote

अपडेट  ३०

अब तक आपने पढ़ा..

अर्जुन- अरे मुनिया शहर में लड़की मुँह में लेकर ही मज़ा देती हैं.. तू एक बार लेकर तो देख..
मुनिया- अच्छा तो तूने शहर में किसी के मुँह में दिया है क्या?
अर्जुन- अरे नहीं.. मैंने किसी को देखा था। अब तू ये सब बाद में पूछना पहले इसको चूस.. मेरी हालत खराब हो रही है।

मुनिया ने धीरे से तो सुपारे को मुँह में लिया और उस पर जीभ फिराई तो अर्जुन जन्नत की सैर पर निकल गया।
अर्जुन- इससस्स.. आह्ह.. मुनिया उफ्फ.. और ले अन्दर तक.. आह्ह.. मैंने सोचा भी नहीं था तेरे मुलायम होंठ मेरे लौड़े पर कभी होंगे आह्ह…

अब आगे..


मुनिया तो नई-नई चुदक्कड़ बनी थी.. उसको लंड का चस्का लग चुका था। अब ऐसा तगड़ा लंड देख कर भला वो कहाँ अपने आपको रोक पाती। बस वो शुरू हो गई लौड़े को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। उसकी चूत भी रिसने लगी थी और उसका जिस्म भी आग की तरह तपने लगा था।

अर्जुन ने अब आँख से हाथ हटा दिया था और वो मुनिया को देख कर और ज़्यादा उत्तेजित हो रहा था।
अर्जुन- आह्ह.. उफ़फ्फ़.. चूस मुनिया.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. ससस्स आह..

अर्जुन लंड चुसाई का पूरा मज़ा ले रहा था.. मगर मुनिया के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था.. उसने मन में सोचा अगर अर्जुन ठंडा हो जाएगा तो उसकी चूत की आग कैसे बुझेगी.. तो उसने लौड़े को मुँह से बाहर निकाल दिया और हाँफने लगी।
अर्जुन- सस्स क्या हुआ मुनिया.. कर ना उफ्फ.. बस थोड़ी देर और कर दे..

मुनिया- नहीं अर्जुन… मैं थक गई.. कोई और तरीका बताओ.. यह ऐसे ठंडा नहीं होगा.. लगता है हमें कुछ और ही करना होगा।
अर्जुन- मुनिया देख.. तू नाराज़ मत होना.. मुझे पता है जो हाल मेरा है.. वही तेरा भी है। अब मेरे लौड़े को तेरी फुद्दी में घुसा कर ही ठंडा करना पड़ेगा। इससे तेरी फुद्दी भी ठंडी हो जाएगी।

मुनिया- नहीं नहीं अर्जुन.. ये सही ना होगा.. और वैसे भी तेरा ये बहुत बड़ा है ये मेरी छोटी से फुद्दी में ना जा पाएगा।
मुनिया ने ‘ना’ भी कहा और इशारा भी दे दिया कि वो चुदवा तो ले.. मगर ये कैसे जाएगा।

अर्जुन- अरे कुछ गलत नहीं है.. मैं तुमसे सच्चा प्रेम करता हूँ और ये आराम से जाएगा.. तू बस एक बार ‘हाँ’ कह दे.. मैं आराम से करूँगा।
मुनिया- ना बाबा ना.. बहुत दर्द होगा मुझे.. मेरी सहेली ने सब बताया हुआ है और तुझे तो कुछ आता भी नहीं.. कैसे कर पाएगा तू?
अर्जुन- अरे पगली.. बस थोड़ा सा दर्द होगा और तुझे किसने कहा मुझे कुछ आता नहीं.. मैंने बहुत छोकरियाँ और भाभियों को अपने तगड़े लौड़े से चोदा है.. गाँव में बहुत लड़कियाँ मेरी दीवानी हैं।

मुनिया- अच्छा यह बात है.. वैसे मैंने सुना तो था तेरे बारे में.. मगर कभी यकीन ना किया.. वैसे तूने किसी कुँवारी लड़की को भी चोदा है.. या बस बड़ी औरतों को ही चोदा है?
मुनिया अब पूरी तरह उत्तेजित हो गई थी और खुल कर बातें करने लगी थी।

अर्जुन- अरे क्या बात करती है तू.. एक नहीं मैंने अपने लंड से 3 कुँवारी लड़कियों की फुद्दी को खोला है.. और 5 भाभी भी निपटा चुका हूँ.. सबको मैंने अपने इस लवड़े से संतुष्ट कर दिया है।
मुनिया- ओहहो.. ये बात है.. ज़रा बताओगे.. वो 3 कुँवारियाँ कौन थीं?
अर्जुन- अरे जान कर क्या करेगी तू?

मुनिया- नहीं.. मुझे बताओ.. तभी तो मुझे विश्वास होगा।

अर्जुन- अच्छा ठीक है.. सुन पहली थी श्यामलाल जी की बेटी कमला.. उसको तो यहीं इसी कमरे में पहली बार चोदा था मैंने.. और दूसरी किसन बाबा की पोती आभा.. उसको उसी के खेत में चोदा था.. और तीसरी हरिया काका की बेटी निधि उसको भी मैंने यहीं लाकर चोदा था।

मुनिया- हे राम.. वो दो तो मेरी उमर की थीं.. मगर निधि तो मेरे से भी छोटी है.. उसको भी चोद दिया.. और उसने इतना बड़ा लंड लिया कैसे?
अर्जुन- हा हा हा.. अरे पगली ये फुद्दी बनी ही ऐसी है कि कितना भी बड़ा लौड़ा अन्दर ले सकती है.. जैसे रबड़ को खींच कर कितना भी तान सकते हैं.. वैसे ये भी लौड़े के हिसाब से तन जाती है। अब तू ये सवाल बन्द कर.. जल्दी से अपने कपड़े निकाल.. मुझसे अब रहा नहीं जा रहा। तेरी चिकनी फुद्दी को देखने का मन हो रहा है.. उसको चाटने का दिल कर रहा है।

मुनिया- तेरी ऐसी हालत में तू कैसे चोद पाएगा.. तेरी जाँघ पर चोट लगी है ना?
अर्जुन- अरे पगली ये तो मामूली चोट है जब सामने कुँवारी फुद्दी हो तो बड़े से बड़ा जख्म भी दर्द नहीं देता.. चल निकाल कपड़े..

उस वक़्त अर्जुन दर्द को भूल कर खड़ा हो गया और अपनी पैन्ट के साथ कुर्ता भी निकाल दिया और मुनिया को पास बिठा कर उसके चूचे दबाने लगा.. उसकी गर्दन पर किस करने लगा।
मुनिया पहले से ही बहुत गर्म थी.. अब अर्जुन की ये हरकत उसको और उत्तेजित कर रही थी।
मुनिया- आह्ह.. आराम से दबा ना उफ्फ.. दुःखता है.. क्या कर रहा है तू आह्ह..

अर्जुन अब बेसब्र हो गया था.. उसने मुनिया के कपड़े निकालने शुरू कर दिए और जैसे-जैसे मुनिया नंगी हो रही थी अर्जुन की उत्तेजना बढ़ रही थी.. उसका लौड़ा लोहे की तरह सख्त हो गया था।
अर्जुन ने मुनिया को खटिया पर गिरा दिया और खुद उसके चूचे चूसने लगा अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
मुनिया- आह्ह.. नहीं आह्ह.. अर्जुन.. ये सब बाद में कर लेना.. आह्ह.. पहले अन्दर घुसा दे आह्ह.. उफ्फ…

अर्जुन- अरे मेरी मुनिया.. कुँवारी फुद्दी में इतनी आसानी से लौड़ा नहीं घुसेड़ा जाता उसको चाट कर चिकना करना पड़ता है।
इतना कहकर अर्जुन मुनिया की चूत के पास गया और उसे देख कर उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं.. क्योंकि कल की चुदाई से चूत पर अभी भी सूजन थी और अर्जुन ने बहुत चूत देखी हुई थी.. तो वो आसानी से ये समझ गया कि मुनिया चुदी हुई है और वो भी एकदम ताज़ा चुदी हुई दिख रही थी.. लेकिन वो चुप रहा और प्यार से चूत को चाटने लगा।

मुनिया- आह्ह.. नहीं आह्ह.. अर्जुन उफ्फ.. दुःखता है आह्ह.. ज़ोर-ज़ोर से आह्ह.. उई.. चाटो आह्ह..
अर्जुन- मेरी रानी ये तड़प चाटने से पूरी नहीं होगी.. इसको तो दबा कर ठोकना होगा.. तभी तेरी तड़प पूरी होगी।
अर्जुन ने अपना विशालकाय लंड चूत पर रख दिया और रगड़ने लगा।

मुनिया- आह्ह.. अर्जुन.. देर ना कर.. आह्ह.. घुसा दे अब.. आह्ह.. बड़ी आग लगी है मेरी चूत में.. आह्ह.. मिटा दे इसको..
अर्जुन- वाह.. मुनिया रानी फुद्दी से चूत पर आ गई.. उन शहरी बाबू के साथ रहकर बहुत कुछ सीख आई रे तू.. ये चूत भी मरवा आई तू.. मैं तो तुझे प्यार करता था.. इसलिए आज तक तुझे नहीं चोदा था.. मगर तू तो ख़त्म हो गई रे.. मुनिया..

इतना कहकर अर्जुन ने लौड़े पर जोर लगाया और 2″ लौड़ा अन्दर घुसा दिया।

मुनिया- आह्ह.. ज़्यादा भाव ना खा.. आह्ह.. तू कौन सा दूध का धुला है.. सारे गाँव में तेरे चर्चे मैंने सुने हुए हैं.. फिर भी तुझसे दूर नहीं हुई मैं.. क्योंकि मैं भी मन ही मन तुझे पसन्द करती थी।

यह सुनते ही अर्जुन की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. उसने जोश में आकर ज़ोर का झटका मारा और पूरा लौड़ा चूत में समा गया।
मुनिया- आईईइ आईईइ.. अरे जालिम.. आह्ह.. आराम से करता ना.. आह्ह.. साले मर गई रे..

अर्जुन- उहह.. तूने बात ही ऐसी की.. आह्ह.. मेरी रानी.. अगर इतना ही उहह.. उहह.. पसन्द करती थी.. तो अपनी फुद्दी का मुहूरत मुझसे करवाती.. क्यों उन शहरी लोगों के साथ चुदाई की तूने..?

मुनिया- आह्ह.. उई चोद मेरे प्यारे.. आह्ह.. आज निकाल ले अपने अरमान.. आह्ह.. वैसे तेरी मुनिया अब भी कुँवारी जैसी ही है.. आह्ह.. मेरी सूजी चूत देख कर तुझे पता चल ही गया होगा.. कि कल ही इसका मुहूरत हुआ है.. आह्ह.. मैं क्या करती.. उन दोनों ने पैसों का लालच देकर मुझे अपने जाल में फँसा लिया.. आह्ह.. चोद उई..

अर्जुन अब स्पीड बढ़ा रहा था.. उसका मोटा लौड़ा अब भी चूत में टाइट जा रहा था.. जिससे उसको अहसास हो गया था कि मुनिया ज़्यादा चुदी हुई नहीं है..

अर्जुन- आह्ह.. ले मेरी रानी.. आह्ह.. उहह.. तू सच में बहुत गर्म माल है.. आह्ह.. कब से तुझ पर नज़र थी.. आह्ह.. साले हरामियों ने तेरी फुद्दी का मुहूरत कर दिया.. आह्ह.. उहह.. लेकिन अब इसको पूरा मज़ा में ही दूँगा.. ले उह.. उहह..

अर्जुन अब फुल स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा था। मुनिया तो दूसरी दुनिया में चली गई और ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी। अब उसकी उत्तेजना चर्म सीमा पर थी.. किसी भी पल उसकी चूत लावा उगल सकती थी..।

मुनिया- उई उई.. आह.. ज़ोर से.. आह्ह.. और ज़ोर से.. आह्ह.. मैं गई.. आह्ह.. आआ उईईइ.. अर्जुन तू बहुत अच्छा है.. आह्ह.. तेज और तेज सस्सस्स.. आह.. उउईईइ.. आह..

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।

कहानी जारी है।

Quote

अपडेट  ३१

अब तक आपने पढ़ा..

अर्जुन- आह्ह.. ले मेरी रानी.. आह्ह.. उहह.. तू सच में बहुत गर्म माल है.. आह्ह.. कब से तुझ पर नज़र थी.. आह्ह.. साले हरामियों ने तेरी फुद्दी का मुहूरत कर दिया.. आह्ह.. उहह.. लेकिन अब इसको पूरा मज़ा में ही दूँगा.. ले उह.. उहह..
अर्जुन अब फुल स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा था। मुनिया तो दूसरी दुनिया में चली गई और ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी। अब उसकी उत्तेजना चर्म सीमा पर थी.. किसी भी पल उसकी चूत लावा उगल सकती थी..।
मुनिया- उई उई.. आह.. ज़ोर से.. आह्ह.. और ज़ोर से.. आह्ह.. मैं गई.. आह्ह.. आआ उईईइ.. अर्जुन तू बहुत अच्छा है.. आह्ह.. तेज और तेज सस्सस्स.. आह.. उउईईइ.. आह..

अब आगे..



मुनिया कमर को हिला-हिला कर झड़ने लगी और कुछ देर बाद शान्त पड़ गई.. मगर अर्जुन ठहरा गाँव का गबरू जवान.. वो अभी कहाँ थकने वाला था.. वो तो दे-दनादन चूत की ठुकाई में लगा हुआ था।
मुनिया- आह्ह.. आह्ह.. अर्जुन.. आह्ह.. अब बस भी कर.. आह्ह.. कितना चोदेगा.. आह्ह.. अब निकाल भी दे.. पानी.. उई मेरी चूत में जलन होने लगी है आह्ह..

अर्जुन- अरे रुक मुनिया.. अभी कहाँ जलन होने लगी.. अब तो लौड़ा गर्म हुआ है.. ज़रा बराबर मज़ा लेने दे.. उसके बाद जाकर ये ठंडा होगा।
मुनिया हैरान हो गई कि इतनी चुसाई और अब कब से चुदाई के बाद भी यह झड़ नहीं रहा.. इसमें तो बहुत ताक़त है। वो अब बस पड़ी-पड़ी मज़ा लेने लगी क्योंकि लंड का घर्सण अब उसकी चूत को दोबारा उत्तेजित कर रहा था।

अर्जुन- उहह उहह.. मुनिया.. आह्ह.. आज तो मज़ा आ गया मुझे ज़रा भी मेहनत नहीं करनी पड़ी और तेरी फुद्दी मिल गई.. आह्ह.. अब तुझे रोज चोदूँगा.. आ ले उह्ह.. उह्ह..
मुनिया- आह्ह.. चोद मेरे प्यारे अर्जुन आह्ह.. अब मेरी चूत फिर से गर्म हो गई है। आह्ह.. चोद मज़ा आ रहा है और ज़ोर से चोद आह्ह..

अर्जुन बड़े प्यार से मुनिया की चुदाई कर रहा था.. कुछ देर बाद वो स्पीड से लौड़ा पेलने लगा.. उसका लंड फटने वाला था।
अर्जुन- आह्ह.. ले मेरी रानी.. आह्ह.. आज तुझे मेरे लंड के पानी की धार दिखाता हूँ.. आह्ह.. बस आहह.. आने वाली है.. तेरी फुद्दी को भर दूँगा मैं.. आह्ह.. उह्ह.. उह्ह.. उह्ह..

मुनिया- आईईइ ससस्स.. आह.. मैं भी आआ गई आह्ह.. ज़ोर से कर.. आह्ह.. अर्जुन मैं गई.. आह आईईई सस्स्स स्स..

कमरे में दोनों की आवाज़ गूँज रही थीं.. और चुदाई का तूफान अपने चरम पर था।
अर्जुन के लौड़े से तेज पिचकारी निकल कर मुनिया की चूत की दीवार पर लगने लगी.. जिसके साथ मुनिया की चूत भी झड़ गई।
अब दोनों के पानी का मिलन होना शुरू हो गया था और दोनों झटके खाने लगे।

कुछ देर तक अर्जुन उसके ऊपर लेटा रहा और लंबी साँसें लेता रहा। उसके बाद वो एक तरफ़ हो कर लेट गया..
अब दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे।
मुनिया- ऐसे क्यों दाँत दिखा रहा है… क्या हो गया तुझे?

अर्जुन- अरे होना क्या था.. तेरी फुद्दी बहुत ज़बरदस्त है.. मज़ा आ गया। वैसे एक बात है.. तू है बड़ी हिम्मत वाली.. इतना बड़ा लौड़ा आराम से ले लिया नहीं तो दूसरी लड़कियाँ बहुत चिल्लाती हैं एक तो बेहोश ही हो गई थी।
मुनिया- अरे पहली बार में ज़्यादा दर्द होता है.. मैं भी बेहोश हो गई थी.. जब बाबूजी ने मुझे चोदा था..

अर्जुन- अरे पता है.. मगर मेरा लौड़ा आम आदमी से बड़ा है.. शादीशुदा भाभी को चोदा तो वो भी चिल्लाने लगी थी। उसके पति का लौड़ा 5″ का था और मेरा 9″ का लिया.. तो उसकी जान निकल गई थी..

मुनिया- चल हट.. तू क्या समझता है बस तेरे पास ही बड़ा लंड है.. रॉनी बाबूजी का भी तेरे जितना है.. बस तेरा थोड़ा मोटा ज़्यादा है.. तभी तो मुझे दर्द हुआ और तेरे में ताक़त ज़्यादा है.. कितना चोदता है तू ठंडा ही नहीं होता मेरी हालत खराब कर दी तूने तो..
अर्जुन- हा हा हा.. अरे ऐसे लौड़े बहुत कम होते हैं.. तेरे शहरी बाबू का इतना बड़ा है.. यह इत्तफ़ाक़ की बात है.. वैसे मेरे जितना शायद ही कोई चोद सकता है। पता है.. मैं एक साथ दो को ठंडा कर दूँ.. मगर मेरा पानी नहीं निकलेगा.. इतनी ताक़त है मेरे लौड़े में..

मुनिया- हाँ जानती हूँ.. मैंने देख लिया सब चल अब माई रह देख रही होगी.. बहुत देर हो गई..
अर्जुन- अरे एक बार और करेंगे ना.. तुझे तेरे शहरी बाबू ने घोड़ी नहीं बनाया क्या.. उसमें बड़ा मज़ा आता है और अबकी बार गोदी में लेकर भी तुझे चोदूँगा..

मुनिया- ना बाबा ना.. मेरी हालत नहीं है अब और चुदने की.. और वैसे भी ज़्यादा लालच ना कर.. माई को शक हो जाएगा समझे..
अर्जुन- चल तू कहती है.. तो मान लेता हूँ.. मगर अबकी बार तुझे हर तरीके से चोदूँगा.. ना मत कहना..

मुनिया- अरे नहीं करूँगी.. मेरे प्यारे अर्जुन.. वैसे भी अब मुझे चुदाई का मज़ा क्या होता है.. ये पता लग गया है। मेरी सहेली ने बहुत बार मुझे कहा था कि मैं तुझसे बात करूँ.. मगर मेरा डर मुझे रोक देता था। अब भला हो उन दोनों का जो मुझे चोद कर मेरा डर निकाल दिया। अब मैं तुम्हें पूरा मज़ा दूँगी.. ठीक है.. अब चलो..

दोनों वहाँ से निकल कर बातें करते हुए घर की तरफ़ चल पड़े।
अब आप इनके साथ जाओगे क्या.. वहाँ दोनों भाई के क्या हाल हैं वो देखते हैं।
दोनों भाई ऊपर कमरे में बैठे सोच रहे थे कि अब क्या होगा?

रॉनी- यार ये साला टोनी तो बहुत चालाक निकला.. हरामी घर तक आ गया..
पुनीत- ये साला पहले से गुड्डी को जानता था.. तभी तो ये छेड़ने का नाटक किया इसने.. और गुड्डी को बहला-फुसला कर घर तक आ गया।
रॉनी- हाँ सही कहा.. कुत्ते ने अपने किसी आवारा दोस्तों के साथ ये गेम खेला है.. मगर अब हम क्या करें?
पुनीत- यही तो अब सोचना है शाम को सन्नी से मिलकर बात करेंगे।
रॉनी- भाई शाम को क्यों.. अभी कॉल करता हूँ ना.. अब वही कुछ बताएगा..

पुनीत- नहीं अभी हम घर में हैं कोई सुन सकता है.. हम शाम को ही मिलेंगे उससे..।
रॉनी- भाई शाम को कुछ भी हो.. चाहे आपको टोनी से हारना पड़े.. मगर गुड्डी इस खेल का हिस्सा नहीं बनेगी.. वरना मैं चुप नहीं रहूँगा और घर में बता दूँगा।

पुनीत- तू पागल हो गया क्या.. कुछ भी बोलता है.. ऐसा कुछ नहीं होगा.. ओके..
रॉनी- सॉरी भाई.. मगर मुझे गुड्डी के बारे में ऐसा सोच कर घबराहट हो रही है।
पुनीत- यार एक बात मुझे समझ नहीं आती है.. गुड्डी मेरी बहन है और उसकी फिक्र तुझे ज़्यादा है?

रॉनी- भाई ये क्या बकवास है.. वो मेरी बहन नहीं है क्या?
पुनीत- अरे ग़लत मत समझ.. तेरी भी है.. मैं तो बस ये कह रहा था.. मेरी सग़ी है और तेरे अंकल की बेटी.. मगर तू उसका सगा से भी ज़्यादा ध्यान रखता है।

रॉनी- हाँ भाई बचपन से ही वो मुझे बहुत स्वीट लगती है और हमारी बनती भी अच्छी है।
पुनीत- यार ये बड़ी अजीब बात है.. आंटी और गुड्डी की ज़रा भी नहीं बनती.. और तुम दोनों की खूब बनती है.. ऐसा क्यों?
रॉनी- अब मॉम और गुड्डी के बीच पता नहीं क्या चल रहा है.. कितने साल हो गए.. दोनों की ज़रा भी नहीं बनती.. मगर मुझे उनसे कोई लेना-देना नहीं वो उनका अपना मामला है.. मुझे बताती भी नहीं.. दोनों से कई बार पूछ कर देख चुका हूँ।

पुनीत कुछ कहता.. तभी उसे उसकी मॉम ने आवाज़ दी- नीचे आ जाओ..
दोनों नीचे चले गए.. जहाँ पायल भी पहले से बैठी हुई थी..

दोनों नीचे खाने की टेबल पर जाकर बैठ गए.. तब तक उनके पापा भी आ गए थे और पायल को देख कर बहुत खुश हुए। उन्होंने थोड़ा गुस्सा भी किया- अगर आने का था तो बता देती.. मैं गाड़ी भेज देता..
अनुराधा- वो हॉस्टल से फ़ोन तो आया था.. मगर आप थे नहीं.. और ये दोनों गए नहीं.. आपने बाहर जाने को मना किया था ना..
संजय- सब के सब पागल हो.. मैंने ऐसे तो नहीं कहा था कि मेरी गुड्डी को लेने भी ना जाए..

पायल- ओह पापा.. अब जाने भी दो और वैसे भी फ़ोन के बारे में मुझे नहीं पता.. किसने किया था.. मैं तो अपने आप ही आने वाली थी।
संजय- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. अब आ गई हो.. तो अच्छे से एन्जॉय करो.. और हाँ अगर सिंगापुर घूमने का मन हो तो मेरे साथ चलो.. मैं आज रात ही काम के सिलसिले में जा रहा हूँ..
पायल- अरे पापा.. क्या आप भी.. मैं आई और आप जाने की बात कर रहे हो..
संजय- बेटा काम है.. तुम भी आ जाओ वहाँ एन्जॉय कर लेना..

Quote

अपडेट  ३२

अब तक आपने पढ़ा..

पायल- ओह पापा.. अब जाने भी दो और वैसे भी फ़ोन के बारे में मुझे नहीं पता.. किसने किया था.. मैं तो अपने आप ही आने वाली थी।
संजय- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. अब आ गई हो.. तो अच्छे से एन्जॉय करो.. और हाँ अगर सिंगापुर घूमने का मन हो तो मेरे साथ चलो.. मैं आज रात ही काम के सिलसिले में जा रहा हूँ..
पायल- अरे पापा.. क्या आप भी.. मैं आई और आप जाने की बात कर रहे हो?
संजय- बेटा काम है.. तुम भी आ जाओ वहाँ एन्जॉय कर लेना..

अब आगे..



पायल- नहीं पापा आप ही जाओ.. मैं यहाँ अपने भाइयों के साथ रहूँगी।

संजय- हाँ ये सही रहेगा.. मैंने तुम दोनों को यही बताने के लिए घर पर रोका था.. मेरे जाने के बाद कोई लफड़ा मत करना तुम दोनों.. और टाइम पर घर आ जाना। मैं यहाँ रहूँ तो कोई बात नहीं.. मगर मेरे पीछे अपनी आवारगार्दी बन्द कर दो। पिछली बार भी रात को पार्टी के चक्कर में पुलिस ले गई थे.. तुम लोग ऐसे घटिया दोस्तों को छोड़ क्यों नहीं देते?

संजय खन्ना उनको सुनाते रहे.. वो बस ‘जी हाँ.. जी हाँ..’ करते रहे, घर में दोनों शेर चूहे बन गए..
अभी इनकी यह बात चल ही रही थी कि सुनीता वहाँ आ गई.. जिसे देख कर पायल ने मुँह बना लिया और वहाँ से चली गई।
सब जानते हैं इनकी नहीं बनती.. तो कोई कुछ नहीं बोला।
उसके पीछे अनुराधा भी चली गई।
सुनीता गुस्से में टेबल पर आकर बैठ गई और संजय को घूरने लगी।

उधर कमरे में जाकर पायल बिस्तर पर बैठ गई.. उसकी माँ पीछे-पीछे कमरे में आ गई।
अनुराधा- बेटा ऐसा नहीं करते.. ऐसे खाने पर से उठना ठीक नहीं..
पायल- मॉम आप जानती हो.. मैं उसकी शक्ल भी देखना पसन्द नहीं करती.. तो क्यों वो मेरे सामने आती है?
अनुराधा- बेटी भूल जाओ पुरानी बातों को.. मैं भूल गई तो तुम क्यों उस घिनौनी बात को दिल से लगाए बैठी हो?
पायल- नहीं मॉम.. मैं नहीं भूल सकती और उस चुड़ैल को देखो तो.. कैसे तैयार होकर घूमती है.. ना जाने कहाँ-कहाँ मुँह मारती फिरती है।

अनुराधा ने पायल को समझाया- ऐसा नहीं बोलते और वो ये सब इसलिए पहनती है.. क्योंकि काम में तुम्हारे पापा की बराबर की हिस्सेदार है। अब बड़ी-बड़ी मीटिंग्स में जाना.. लोगों से मिलना होता है.. तो थोड़ा सज-संवर कर रहना ही चाहिए ना..
पायल जानती थी कि उसकी माँ बस उसको बहला रही है.. बाकी वो खुद अन्दर से टूटी हुई थी। मगर पायल ने ज़्यादा ज़िद या बहस नहीं की और अपनी माँ को वहाँ से भेज दिया।

खाने के दौरान संजय ने सुनीता को साथ चलने को कहा और वो मान गई।
किसी ने कुछ नहीं कहा.. सब जानते हैं कि अक्सर काम के सिलसिले में दोनों बाहर जाते रहते हैं।
खाने के बाद कोई खास बात नहीं हुई सब अपने कमरों में चले गए।

शाम को दोनों सन्नी से मिलने गए..
सन्नी- अरे यार कहाँ हो तुम दोनों.. कब से इन्तजार कर रहा हूँ।
पुनीत ने सुबह की सारी बात सन्नी को बताई तो वो खामोश होकर बैठ गया और कुछ सोचने लगा।

रॉनी- अरे यार क्या हुआ.. अब क्या करें.. कुछ आइडिया दे?
सन्नी- अब क्या आइडिया दूँ.. सारा गेम पलट गया.. तू ऐसा कर पुनीत, टोनी को कुछ पैसे देकर उसका मुँह बन्द कर दे.. और कह दे तेरी बहन नहीं मान रही है..
पुनीत- नहीं ऐसा नहीं हो सकता.. पुनीत खन्ना ने कभी किसी से हार नहीं मानी है..

रॉनी- भाई तो अब आप क्या करोगे? गुड्डी को ले जाओगे क्या वहाँ?
पुनीत- नहीं रॉनी.. कुछ और सोचना होगा.. गुड्डी को नहीं ले जा सकते..
सन्नी- उसके जाए बिना टोनी मानेगा नहीं.. एक आइडिया तो है.. मगर रिस्की है थोड़ा..
पुनीत- क्या है बता ना यार?

सन्नी- देखो बिना गुड्डी को ले जाए वो मानेगा नहीं.. मगर उसको ले जाना तुम चाहते नहीं.. क्योंकि उस गेम में हर एक गेम के साथ एक कपड़ा निकालना पड़ता है.. सही ना..
रॉनी- हाँ यार यही तो बात है..
सन्नी- पुनीत तू अच्छा खिलाड़ी है… यार अगर तू हारे ही नहीं.. तो क्या दिक्कत है.. गुड्डी को ले जाने में?
रॉनी- नहीं नहीं.. कभी नहीं.. अगर भाई हार गया तो?

सन्नी- अरे यार सब जानते है.. पुनीत लकी है.. कभी नहीं हारता।
पुनीत- हाँ रॉनी.. बात तो सही है.. मैं हारूँगा ही नहीं.. तो गुड्डी को कुछ नहीं होगा और टोनी की बहन को चोदकर हम अच्छा सबक़ सिखा देंगे.. उस कुत्ते को..
रॉनी- ठीक है.. माना आप फाइनल गेम जीत जाओगे.. मगर एक भी राउंड हारे तो एक कपड़ा निकालना होगा और हमारी गुड्डी सबके सामने ऐसे… नहीं नहीं.. कुछ और सोचो..


सन्नी- इसकी फिकर तुम मत करो.. देखो लड़की के जिस्म पर 4 कपड़े होंगे.. दो बाहर और दो अन्दर.. मेरे पास ऐसी तरकीब है.. पुनीत एक नहीं अगर 2 राउंड भी हार जाए.. तो भी हमारी गुड्डी का किसी को कुछ नहीं दिखेगा।
रॉनी- सच ऐसा हो सकता है?

सन्नी ने दोनों को अपना आइडिया सुनाया.. तो दोनों खुश हो गए।

पुनीत- बस अब खेल ख़त्म.. जिस बात का डर था.. वो टेन्शन दूर हो गई। अब 2 चान्स हैं मेरे पास.. मगर देख लेना मैं एक भी नहीं हारूँगा..
रॉनी- ये सब तो ठीक है भाई.. मगर गुड्डी वहाँ आएगी कैसे.. और इस गेम के लिए मानेगी कैसे?

पुनीत- तू इसकी फिकर मत कर.. मैं गुड्डी को कैसे भी मना लूँगा..
रॉनी- बस फिर तो कोई टेन्शन ही नहीं है.. मगर ये ज़िमेदारी आपकी है.. मुझे ना कहना.. गुड्डी को मनाने के लिए.. ज़ुबान आपने दी है.. तो आप ही कुछ करोगे.. ओके..
पुनीत- अरे हाँ यार.. मगर कभी जरूरत हो तो हाँ में हाँ मिला देना..

सन्नी- ये सही कहा तुमने.. अब यहाँ से जाओ.. दिन कम हैं.. अपनी बहन को किसी तरह मनाओ..
पुनीत- यार तेरा दिमाग़ तो बहुत तेज़ चलता है.. तू ही कोई आइडिया बता ना..
सन्नी- मुझे पता था.. तू ये जरूर बोलेगा.. अब सुन गुड्डी को बाहर घुमाने ले जा.. उसका भाई नहीं.. दोस्त बन तू और अपने क्लब में भी लेकर आ.. वहाँ टोनी से मिलवा.. मैं ऐसा चक्कर चला दूँगा कि गुड्डी खुद ये गेम खेलने को कहेगी।

रॉनी- क्या बोल रहे हो सन्नी.. गुड्डी को क्लब में लाएं.. उस टोनी से मिलवाएं और गुड्डी क्यों कहेगी गेम के लिए.. मेरी समझ के बाहर है सब..
सन्नी- तुम दोनों कुछ नहीं समझते.. मैं टोनी को कहूँगा कि गुड्डी मानेगी नहीं.. अब तू हमारी मदद कर उसको मनाने में.. बस वो हमारा साथ देगा.. तो काम बन जाएगा और गुड्डी मान जाएगी..
पुनीत- यार तू पहेलियाँ मत बुझा.. तेरा आइडिया बता.. ये होगा कैसे?

सन्नी ने विस्तार से दोनों को समझाया तो दोनों के चेहरे ख़ुशी से खिल गए और पुनीत ने सन्नी को गले से लगा लिया।
पुनीत- मान गया यार तेरे दिमाग़ को.. क्या दूर की कौड़ी निकाली है..
रॉनी- यार ये आइडिया तेरे दिमाग़ में आया कैसे.. गुड्डी तो मान जाएगी.. अब देखना है साला टोनी अपनी बहन को कैसे मनाता है?
सन्नी- अब तुम दोनों जैसे परेशान हो गुड्डी को मनाने में… साला टोनी भी तो परेशान होगा ना.. वो भी कुछ ना कुछ जुगाड़ लगा लेगा।
रॉनी- कहीं वो भी यही आइडिया ना अपना ले.. तुम उसको बताओगे तो?

पुनीत- अपनाता है तो ठीक है.. हमें क्या बस दोनों को राज़ी होनी चाहिए। उसके बाद वहाँ जीत तो हमारी ही होगी ना.. हा हा हा हा..
रॉनी- चलो यार अभी का हो गया.. अभी हमारा घर पर होना जरूरी है..
पुनीत- हाँ सही है यार.. पापा के जाने के टाइम उनके सामने रहेंगे.. तो ठीक रहेगा.. और वैसे गुड्डी को भी गेम के लिए पटाना है।

सन्नी- ओके तुम जाओ.. मगर मेरी बात का ख्याल रखना.. गुड्डी को दोस्त बनाओ.. उसके करीब जाओ और दोनों साथ में नहीं रहना.. पुनीत बस तुम उसको पटाओ.. दोनों साथ रहोगे तो उसको अजीब लगेगा और काम बिगड़ जाएगा।

दोनों वहाँ से घर चले गए.. संजय जाने के लिए रेडी हो रहे थे। ये दोनों पापा के कमरे में उनसे कोई बात कर रहे थे और पायल हॉल में अकेली बैठी हुई थी।

तभी सुनीता वहाँ आ गई और पायल के सामने आकर बैठ गई। सुनीता को देख कर पायल जाने लगी।

सुनीता- रूको गुड्डी.. आख़िर कब तक तुम मुझसे दूर रहोगी.. एक बार तुम मेरी बात तो सुन लो..
पायल- अपना मुँह बन्द रखो और मेरा नाम पायल है समझी.. तुम्हारे मुँह से ये गुड्डी शब्द अच्छा नहीं लगता।
सुनीता- अच्छा ठीक है.. मगर मेरी बात तो सुन लो.. तुम जो समझ रही हो वैसा कुछ नहीं है..
पायल- बस करो.. नहीं मैं कुछ कर बैठूंगी.. अपनी बकवास बन्द रखो और जाओ यहाँ से..
सुनीता- पायल मैं तुम्हें कैसे समझाऊँ.. तुम कभी मेरी बात ही नहीं सुनती..
पायल- तुम नहीं जाओगी.. मुझे ही जाना होगा… यहाँ से नहीं तुम्हारी मनहूस शक्ल देखते रहना पड़ेगा।

पायल गुस्से में वहाँ से अपने कमरे में चली गई और कुछ देर बाद संजय और सुनीता वहाँ से निकल गए। हाँ जाने के पहले संजय गुड्डी से मिलकर गया और उसका मूड खराब देख कर कुछ ज़्यादा नहीं कहा।

Quote

अपडेट  ३३

अब तक आपने पढ़ा..

पायल- बस करो.. नहीं मैं कुछ कर बैठूंगी.. अपनी बकवास बन्द रखो और जाओ यहाँ से!
सुनीता- पायल मैं तुम्हें कैसे समझाऊँ.. तुम कभी मेरी बात ही नहीं सुनती..
पायल- तुम नहीं जाओगी.. मुझे ही जाना होगा यहाँ से… नहीं तुम्हारी मनहूस शक्ल देखते रहना पड़ेगा।

पायल गुस्से में वहाँ से अपने कमरे में चली गई और कुछ देर बाद संजय और सुनीता वहाँ से निकल गए। हाँ जाने के पहले संजय गुड्डी से मिलकर गया और उसका मूड खराब देख कर कुछ ज़्यादा नहीं कहा।

अब आगे..



उनके जाने के बाद रॉनी ने पुनीत को इशारा किया और वो सीधा पायल के कमरे के पास गया।
दरवाजे पर उसने दस्तक दी तो पायल ने कहा- दरवाजा खुला है आ जाओ..
पुनीत- अरे गुड्डी क्या हो गया.. इतनी गुस्सा क्यों हो तुम?
पायल- कुछ नहीं भाई.. बस ऐसे ही मूड थोड़ा खराब है..
पुनीत- अरे कितने टाइम बाद आई हो.. चलो आज कहीं बाहर घूमने चलते हैं मज़ा आएगा..
पायल- नहीं भाई.. आज मन नहीं है.. कल जाएँगे.. आज रहने दो..
पुनीत- अरे चल ना.. तू कभी मेरे साथ बाहर नहीं गई ना.. तो तुझे पता नहीं बहुत मज़ा आता है..

पायल- ओके ठीक है.. लेकिन जाना कहाँ है.. यह तो बताओ आप..?
पुनीत- मूवी देखने चलते हैं।
पायल- नहीं मूवी का मूड नहीं है.. भाई घर में ही कुछ एन्जॉय करते है ना..
पुनीत- ये तो और भी अच्छा आइडिया है बोल क्या करें.. कोई गेम खेलें?

पायल कुछ कहती.. तभी दरवाजे पर रॉनी उसको दिखाई दिया.. उसके हाथ में तीन कोल्ड ड्रिंक्स की बोतल थीं।
पायल ने कहा- वहाँ क्यों खड़े हो.. यहाँ हमारे पास आ जाओ।
पुनीत- वाह.. यह काम अच्छा किया तूने.. ला पिला.. मेरा कब से गला सूख सा गया था।

रॉनी ने दोनों को बोतल दीं.. जिसमें स्ट्रा लगा हुआ था और खुद भी पीने लगा। अब पुनीत की नज़र पायल पर थी कि वो क्या कहेगी..
मगर रॉनी बोला- मैंने सब सुन लिया.. तुम दोनों कोई गेम खेलने की बात कर रहे थे।
पायल- हाँ भाई.. एक बड़ा मजेदार गेम है.. वही खेलेंगे..
पुनीत- कौन सा गेम.. मेरी प्यारी गुड्डी.. बता तो हमें…

पायल- भाई वहाँ हॉस्टल में अक्सर हम ये गेम खेलते हैं.. बड़ा मज़ा आता है और आपको भी वो सब पसन्द है। जाओ अपने कमरे से कार्ड लेकर आ जाओ.. आज हम कार्ड गेम खेलेंगे और मज़ा करेंगे।

कार्ड का नाम सुनकर दोनों की गाण्ड फट गई… पायल को इस गेम के बारे में कैसे पता.. कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं हो गई।
पुनीत- क्या बोल रही है तू.. कार्ड का कौन सा गेम है और मेरे पास कहाँ कार्ड-वार्ड हैं..


पायल- अरे भाई झूठ मत बोलो.. मुझे आपके सब राज पता हैं.. आपके कमरे में कार्ड हैं और ये बड़ा मजेदार गेम होता है। आप कार्ड तो लाओ.. मैं सब समझा दूँगी..
पुनीत- मेरे कमरे में कार्ड हैं.. ये तुझे किसने कहा?
पायल- ये भी बता दूँगी.. पहले आप कमरे में चलो.. वहीं जाकर सब बता भी दूँगी और वहीं हम खेलेंगे भी.. यहाँ का एसी सही से काम नहीं कर रहा है।

पायल आगे-आगे चलने लगी तो पीछे पुनीत ने रॉनी से बात की- ये क्या मामला है.. गुड्डी को कैसे पता लगा इस सब के बारे में?
रॉनी- मुझे क्या पता.. अब चलो वहीं जाकर पता लगेगा.. अब ये क्या धमाका करने वाली है।
पुनीत- हाँ चलो.. ये सही रहेगा.. वहाँ जाकर ही देखते हैं.. मगर जब तक गुड्डी खुद से कुछ ना कहे.. हम कुछ नहीं बोलेंगे..
रॉनी- हाँ भाई सही है.. अब चलो..

दोस्तो, ये कमरे तक पहुँच जाएँ तो वहाँ का नया ट्विस्ट आपके सामने आए.. उसके पहले ज़रा पीछे जाकर कुछ पुराने राज पर से परदा उठा देती हूँ.. ताकि आपकी उलझन कुछ कम हो जाए।

शाम को पायल से मिलने के बाद जब संजय गाड़ी में बैठा तो सुनीता को घूरने लगा।
सुनीता- क्या हुआ.. आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो?

संजय- तुमने पायल से क्या कह दिया.. वो कितना गुस्सा है.. मुझसे भी ठीक से बात नहीं की उसने?
सुनीता- मैंने क्या कहा.. बस उसको समझाने की कोशिश की.. मगर वो बात सुनने को तैयार ही नहीं है।
संजय- क्या समझाना चाहती हो तुम उसे? हाँ क्या बताओगी तुम उसको?

सुनीता- सब कुछ बता दूँगी.. जब मेरा कोई कसूर ही नहीं.. तो क्यों मैं उसके तीखे शब्द सुनूँ.. हाँ अब मुझसे उसकी नाराज़गी देखी नहीं जाती.. दीदी तो सब जानती हैं.. मगर फिर भी उसको कुछ नहीं बताती.. अब मुझसे ये सब देखा नहीं जाता है।
संजय- अपनी बकवास बन्द करो.. ये जो ऐशो आराम की जिंदगी गुजार रही है ना.. सब ख़त्म हो जाएगा.. समझी..
सुनीता- ये तेवर अपने पास रखो.. अब मैं पहले वाली सुनीता नहीं हूँ.. जो सब कुछ चुपचाप सह लूँगी.. सारी दुनिया को बता दूँगी कि संजय खन्ना की औकात क्या है.. समझे..!

संजय- अरे नाराज़ क्यों होती हो.. इस बारे में बाद में बात करते हैं ना.. ये जगह ऐसी बातों के लिए नहीं है।

ड्राइवर के सामने संजय ज़्यादा कुछ बोलना नहीं चाहता था.. इसलिए उसने सुनीता को भी चुप करा दिया.. मगर यहाँ दाल में कुछ कला तो जरूर है.. जो आपको बाद में पता चल ही जाएगा। अभी इनको जाने दो.. अब तक तो वो तीनों कमरे में पहुँच गए होंगे।

तीनों पुनीत के कमरे में आ गए और पायल ने टेबल की दराज से कार्ड निकाल कर रॉनी को दे दिए।
पुनीत- गुड्डी बता ना.. ये कार्ड का तुझे कैसे पता चला?

पायल- ओह.. भाई.. आप भी ना शाम को आप बाहर गए थे.. तब मैं आपके कमरे में आई थी। बस ऐसे ही किसी वजह से यहाँ देखा.. तो ये कार्ड मिल गए और वैसे भी मुझे कार्ड गेम पसन्द है। मैंने बताया था ना.. वहाँ हम अक्सर खेलते हैं।
पुनीत- अच्छा ये बात है.. चलो अब गेम के बारे में भी बता दो।

पायल- देखो भाई.. ये कार्ड में से सबको एक-एक कार्ड दिया जाएगा और जिसका कार्ड का नंबर सबसे छोटा होगा.. वो हार जाएगा और जीतने वाला उसको कोई काम बोलेगा.. जो उसको करना होगा जैसे कोई गाना गाना या डान्स करना.. कुछ भी.. ओके?

पायल की बात सुनकर दोनों की जान में जान आई.. वो तो कुछ और ही समझ बैठे थे।
रॉनी- अरे ये गेम तो हमें अच्छे से आता है.. आज तो गुड्डी तुम ही हारोगी.. हर बार देखना..
पायल- अच्छा.. इतना घमण्ड.. तो लो आप ही कार्ड को बाँटो.. पता चल जाएगा कौन हारता है।

रॉनी ने कार्ड सबको दिए और खोलने पर रॉनी ही हार गया.. उसके पास सबसे छोटा पत्ता आया था।
पायल- हा हा हा.. देखा.. कैसे सेखी बघार रहे थे.. अब हार गए ना.. तो चलो लड़की की तरह चलकर दिखाओ।
रॉनी ने नानुकुर की.. मगर पायल के आगे उसकी एक ना चली और वो ठुमक-ठुमक कर चलने लगा।

पुनीत और पायल ने उसका बहुत मजाक बनाया.. ऐसे ही कभी पुनीत हारा.. तो कभी पायल.. काफ़ी देर तक ये खेल चलता रहा।
रॉनी- बस यार गुड्डी.. मैं तो थक गया हूँ.. मुझे नींद भी आ रही है.. तुम दोनों खेलो.. मैं तो चला सोने..
पुनीत ने कहा- ठीक है तुम जाओ.. मुझे भी अब नींद आने लगी है..

रॉनी और पायल वहाँ से चले गए.. तो पुनीत ने अपने कपड़े निकाले और बस एक बरमूडा पहन के लेट गया।

पायल अपने कमरे में गई.. उसने एक सफ़ेद टी-शर्ट और शॉर्ट निक्कर पहनी और बिस्तर पर लेट गई.. मगर उसको अजीब सी बेचैनी सी होने लगी.. उसके जिस्म में सुईयाँ जैसी चुभने लगीं और नींद का नामो-निशान उसकी आँखों में नहीं था।

कुछ देर बाद वो उठी और पुनीत के कमरे के पास जाकर आवाज़ दी।
पुनीत- अरे गुड्डी.. तुम क्या हुआ.. आ जाओ लॉक नहीं है।
पायल- भाई मेरे कमरे का एसी काम नहीं कर रहा है.. नींद ही नहीं आ रही है मुझे।
पुनीत- ओह.. कल ठीक करवा दूँगा.. तुम ऐसा करो मॉम के पास चली जाओ..
पायल- नहीं मॉम सुबह जल्दी उठ कर पूजा करेगी और मुझे इतनी जल्दी नहीं उठना है।
पुनीत- अरे तो मॉम पूजा करेगी तुम्हें क्या.. तुम सोती रहना..
पायल- नहीं भाई.. आपको पता नहीं मॉम कमरे में बैठकर ही ज़ोर-ज़ोर से आरती करती हैं।

पुनीत- अरे तो मेरी प्यारी बहना.. यहाँ मेरे कमरे में सो जाओ.. वैसे भी ये बिस्तर बहुत बड़ा है.. दोनों आराम से सो जाएँगे।
पायल ने कुछ सोचा और ‘हाँ’ कह दी।

पुनीत ने चादर अपने ऊपर डाल ली और करवट लेकर सो गया। पायल भी दूसरी तरफ़ करवट लेकर लेट गई और कुछ सोचने लगी। अचानक उसे पूजा की कहानी याद आई कि कैसे उसके भाई ने रात को उसके साथ सब किया था..
यह सोचकर वो थोड़ी डर गई और जल्दी से पुनीत की तरफ़ करवट ले ली..

Quote

अपडेट  ३४

अब तक आपने पढ़ा..

पुनीत- अरे तो मेरी प्यारी बहना.. यहाँ मेरे कमरे में सो जाओ.. वैसे भी ये बिस्तर बहुत बड़ा है.. दोनों आराम से सो जाएँगे।
पायल ने कुछ सोचा और ‘हाँ’ कह दी।
पुनीत ने चादर अपने ऊपर डाल ली और करवट लेकर सो गया। पायल भी दूसरी तरफ़ करवट लेकर लेट गई और कुछ सोचने लगी। अचानक उसे पूजा की कहानी याद आई कि कैसे उसके भाई ने रात को उसके साथ सब किया था..। ये सोचकर वो थोड़ी डर गई और जल्दी से पुनीत की तरफ़ करवट ले ली।

अब आगे..
पुनीत आराम से दूसरी तरफ़ लेटा हुआ था। उसको पता भी नहीं था कि पायल के दिमाग़ में क्या चल रहा है..
पायल अपने आपसे बात कर रही थी कि उसका भाई ऐसा नहीं कर सकता और इन्हीं ख्यालों में उसकी आँख लग गई।



बीच रात को अचानक पायल की आँख खुली तो वो पुनीत से चिपकी हुई थी.. उसका घुटना पुनीत के लंड पर था और हाथ सीने पर.. वो घबरा गई और जल्दी से पुनीत से अलग हुई।
उसका जिस्म आग की तरह तप रहा था। उसने खुद को काबू किया.. मगर ना चाहते हुए भी उसका ध्यान पुनीत के लंड पर गया.. जो तनकर बरमूडा में तंबू बना रहा था।

पायल- ओ माय गॉड.. ये क्या है.. मैं कैसे भाई के पास चली गई.. उनसे चिपक गई। मेरी वजह से वो सोए हुए भी कैसे गर्म हो गए.. मगर मैं तो उनकी बहन हूँ.. फिर उनका ‘वो’ कैसे टाइट हो रहा है..
तभी पायल को पूजा की बात याद आई कि लंड और चूत किसी रिश्ते को नहीं समझते.. बस ये दोनों तो एक-दूसरे के लिए ही बने होते हैं।

यह बात ध्यान में आते ही पायल की चूत गीली हो गई उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है.. उसने सर को झटक कर दोबारा दूसरी तरफ़ करवट ले ली और सोने की कोशिश करने लगी।
मगर जैसे ही आँख बन्द करती.. उसको पुनीत का लौड़ा टेंट बना हुआ दिखता.. उसने बहुत कोशिश की.. अपना ख्याल हटाने की.. मगर वो नजारा उसकी आँखों के सामने से हटने का नाम ही नहीं ले रहा था।
तो उसने कुछ सोचा और वापस पुनीत की तरफ़ करवट ले ली।

दोस्तो, पूजा की कही हुई बातें और रात की तन्हाई.. पायल को बहका रही थी। आख़िर वो भी एक जवान कमसिन लड़की थी और यह उमर तो होती ही ऐसी है.. कि कोई भी बहक जाए। खास तौर पर जबकि उसके एकदम पास कोई जवान लड़का सोया हुआ हो तो.. पायल की तो औकात ही क्या थी।

पायल ने मन में सोचा कि लंड आख़िर होता कैसा है.. एक बार छू कर देखने में क्या हर्ज है..
उसने डरते हुए पुनीत के लंड को छुआ तो उसको 440 वोल्ट का झटका लगा। अचानक से उसकी चूत से पानी ज़्यादा रिसने लगा।

पायल- ओह.. गॉड.. कपड़े के ऊपर से टच किया.. तो पूरे जिस्म में करंट पैदा हो गया.. आख़िर ऐसा क्या है इसमें.. इसने तो मेरी हालत खराब कर दी।
अब पायल का मन बेचैन हो गया था.. वो दोबारा धीरे से लौड़े को टच करने लगी।
पुनीत गहरी नींद में सोया हुआ था और पायल की हवस बढ़ती ही जा रही थी, वो लंड को ऊपर से नीचे तक धीरे-धीरे दबाने लगी थी.. उसकी लंबाई का जायजा लेने लगी थी।

अब उसके मन में लंड को देखने का विचार था.. मगर कैसे? यह उसकी समझ में नहीं आ रहा था। अगर पुनीत जाग गया तो क्या होगा..? वो क्या कहेगी उसको?
यह सोच कर वो वापस लेट गई और सोने की कोशिश करने लगी। मगर उसकी चूत से गिरता पानी उसको बेचैन कर रहा था।

पायल- ओह.. गॉड.. यह क्या हो गया मुझे मेरी पैन्टी पूरी गीली हो गई है.. लगता है बाथरूम जाकर साफ करना ही होगा.. नहीं तो प्राब्लम हो जाएगी, यह पानी ऐसे गिरता रहेगा।

पायल उठी और बाथरूम में जाकर बैठ गई और अपना ध्यान इस बात से हटाने की कोशिश करने लगी।

दोस्तो, एक बहुत पुराना राज.. जो अब तक सामने नहीं आया.. आज उसका भी समय आ गया है।
पायल बाहर आए तब तक टोनी के पास चलते हैं.. आज वहीं उस राज का पता लगेगा।

शाम को सन्नी ने फ़ोन किया और टोनी को कहा कि वो उसके पास आएगा.. पीने का बंदोबस्त रखना.. कुछ जरूरी बात भी करनी है उसको..
टोनी तो हुक्म का गुलाम था.. उसने सब बंदोबस्त करके रखा।
जब सन्नी आया तो टोनी खुश हो गया, दोनों बैठकर पीने लगे।

सन्नी- टोनी अब तक तो सब ठीक चल रहा है.. बस ये साली पायल मान जाए किसी तरह से..
टोनी- अरे मानेगी क्यों नहीं भाई.. हमने उस साले पुनीत को अच्छा फँसा लिया है.. अब वो उसको कैसे भी मना लेगा।
सन्नी- अरे वो तो कोशिश करेगा.. साथ में हमें भी उसका साथ देना होगा। यह पायल कुछ ज़्यादा ही सीधी है।

टोनी- हाँ उससे मिलकर मुझे भी ऐसा लगा था.. मगर कोई तो होगा साली का आशिक.. ऐसा तो नहीं है.. मज़ा लेने के लिए कुछ तो करती ही होगी साली..
सन्नी- अरे कुछ नहीं करती वो.. मुझे उसकी सारी खबर है.. उस हॉस्टल में मेरी एक आइटम है.. जो मुझे उसकी सब खबर देती है.. वो उसके पास वाले कमरे में रहती है।

टोनी- अच्छा इसका मतलब आपने उसका गेम भी बजाया होगा?
सन्नी- साले उसकी आरती उतारने के लिए उसको नहीं पटाया.. जब खर्चा करता हूँ.. तो मज़ा तो लूँगा ही ना..
टोनी- हाँ ये भी सही है भाई.. उसके जरिए साली पायल को भी पटा लेते तो ये गेम का चक्कर ही नहीं होता।

सन्नी- अबे.. वो साली हाथ आने वाली नहीं है.. एक बार मेरी आइटम ने बताया.. कि वो घर जा रही है और पायल की रूम पार्टनर भी जा रही है.. और आज की रात वो पूजा के साथ रहेगी.. जो बहुत बड़ी चुदक्कड़ है.. मेरी आइटम के साथ रोज लेसबो करके मज़ा करती थी। आज पायल को वो जरूर नंगा कर देगी.. बस यही सोचकर में हॉस्टल में घुस गया था।

टोनी- क्या बात करते हो भाई.. अन्दर घुस गए? मगर कैसे.. किसी ने देखा नहीं क्या आपको?
सन्नी- अबे मेरी आइटम ने चोर रास्ता बता दिया था मुझे.. जिससे अक्सर वो मुझसे मिलने बाहर आती थी।
टोनी- फिर क्या हुआ भाई.. कुछ किया अपने वहाँ जाकर?

सन्नी- अबे सुन तो साले.. मैं किसी तरह उनके रूम के पास गया और की होल से अन्दर झाँक कर दोनों की बातें सुनने लगा। पूजा ने बहुत पटाया साली को.. मगर वो मानी ही नहीं और पूजा साली अपनी प्यास बुझाने बाहर निकली तो मैं किसी तरह छुप गया और साली पूजा का ही गेम बजा दिया। उसके बाद मैं तुमसे मिलने आया था याद है ना?
टोनी- क्या बात करते हो भाई.. सब याद है मुझे.. मगर वो ऐसे ही कैसे मान गई?

सन्नी ने उसे सारी बात बताई कि कैसे उसने पूजा को चोदा था.. जिसे सुनकर टोनी का लंड अकड़ गया, उसका भी मन चुदाई के लिए मचल गया।
टोनी- भाई प्लीज़ मुझे भी वो रास्ता बताओ ना.. मैं भी वहाँ जाकर अपने लौड़े को ठंडा कर आऊँगा..
सन्नी- अबे चुप साले.. अभी वहाँ कोई नहीं है.. सब अपने घर चली गई हैं.. तू बस अपने गेम पर ध्यान दे। अब सुन पुनीत को मैंने कहा कि वो पायल को क्लब में लाए.. वहाँ तुम्हें कुछ नाटक करना होगा.. ताकि वो साली पायल गेम के लिए ‘हाँ’ कहे..
टोनी- कैसा नाटक भाई आप बताओ?

सन्नी ने आगे का गेम उसको समझा दिया। उसके बाद कुछ देर वहाँ पीने का प्रोग्राम चला और सन्नी वहाँ से चला गया।
दोस्तो, शुरू में जिस नकाबपोश ने पूजा की चुदाई की थी.. वो सन्नी था। यह आप समझ गए होंगे..
तो चलो वहाँ हमारी पायल का मन मचल रहा है… अब वो पुनीत के साथ क्या करती है.. यह भी देख लेते हैं।

पायल जब वापस बाहर आई.. तो पुनीत नींद में ही अपने बरमूडा में हाथ डाल कर खुजा रहा था.. शायद उसको लंड के पास खुजली हो रही होगी।
यह देख कर पायल के होंठों पर हल्की मुस्कान आ गई। वो धीरे से बिस्तर पर आकर पुनीत के पास बैठ गई।
कुछ देर बाद पुनीत ने अपना हाथ बाहर निकाल लिया और सीधा लेट गया। उसका लौड़ा अभी भी खड़ा हुआ था।

पायल- ओह गॉड.. लगता है आज तो फँस गई.. पता नहीं मुझे ये क्या हो रहा है.. ऐसा लगता है एक बार भाई के लंड को बिना कपड़ों के देखूँ.. उसको पकडूँ.. मगर कैसे करूँ.. कहीं भाई जाग गया तो क्या होगा?

पायल दोबारा लौड़े को धीरे से छूने लगी। उसने एक तरकीब सोची कि सोने का नाटक करके वो लौड़े को देख सकती है। अगर पुनीत जाग भी गया.. तो वो नींद का नाटक करती रहेगी और पुनीत को कोई जवाब भी नहीं देना होगा उसको.. बस यही सोचकर वो पुनीत के एकदम करीब लेट गई।
कुछ देर चुपचाप लेटी रही.. फिर धीरे से उसने एक हाथ से बरमूडा ऊपर उठाया और दूसरा हाथ उसके अन्दर डाल दिया।

पुनीत एकदम सीधा लेटा हुआ था.. जैसे ही पायल की उंगली लौड़े से टच हुई.. उसके जिस्म में एक सर्द लहर दौड़ गई आग की तरह तपता हुआ लौड़ा उसके नाज़ुक हाथ की उंगली से टच हो रहा था। मगर उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वो उसको पकड़ सके और तुरन्त उसने अपना हाथ बाहर निकाल लिया।

Quote

अपडेट  ३५

अब तक आपने पढ़ा..

पायल दोबारा लौड़े को धीरे से छूने लगी, उसने एक तरकीब सोची कि सोने का नाटक करके वो लौड़े को देख सकती है। अगर पुनीत जाग भी गया.. तो वो नींद का नाटक करती रहेगी और पुनीत को कोई जवाब भी नहीं देना होगा उसको.. बस यही सोचकर वो पुनीत के एकदम करीब लेट गई।
कुछ देर चुपचाप लेटी रही.. फिर धीरे से उसने एक हाथ से बरमूडा ऊपर उठाया और दूसरा हाथ उसके अन्दर डाल दिया।
पुनीत एकदम सीधा लेटा हुआ था.. जैसे ही पायल की उंगली लौड़े से टच हुई.. उसके जिस्म में एक सर्द लहर दौड़ गई आग की तरह तपता हुआ लौड़ा उसके नाज़ुक हाथ की उंगली से टच हो रहा था। मगर उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वो उसको पकड़ सके और तुरन्त उसने अपना हाथ बाहर निकाल लिया..

अब आगे..



कुछ देर पायल ऐसे ही चुपचाप पुनीत को देखती रही। जब उसको लगा कि पुनीत बहुत गहरी नींद में है.. तो वो दोबारा उसके करीब हो गई और उसके बरमूडा में हाथ डाल दिया.. अबकी बार उसने लौड़े को पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी।
उसको बड़ा मज़ा आ रहा था ये सब करते हुए और उसकी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी.. उसकी चूत पानी-पानी हो रही थी।

पायल- ओह्ह.. पूजा.. तुझे तेरे भाई ने सोते हुए दबाया था.. यहाँ तो सब उल्टा हो रहा है। मेरा भाई तो घोड़े बेच कर सो रहा है और मैं उसके मज़े ले रही हूँ.. आह्ह.. मेरी चूत को क्या हो गया.. लगता है आज फट ही जाएगी ये तो.. आह्ह.. अईह्ह.. आह्ह..
पायल एक हाथ से लौड़े को सहलाती रही और दूसरे हाथ से अपनी चूत को रगड़ती रही।

कुछ देर बाद पुनीत थोड़ा हिला तो पायल ने झटके से हाथ बाहर निकाल लिया और सोने का नाटक करने लगी।
अब पुनीत ने करवट ली और पेट के बल औंधा सो गया।

पायल- ओह्ह.. शिट.. भाई तो पलटी मार गया.. कितना मज़ा आ रहा था.. काश एक बार उनका लौड़ा देखने को मिल जाता और ये चूत भी ना.. अब इसकी खुजली कैसे मिटाऊँ.. लगता है उंगली करनी ही पड़ेगी.. तभी इसको चैन आएगा।

पायल वहाँ से उठी और बाथरूम में चली गई। वहाँ वो पूरी नंगी हो गई और शीशे में अपने आपको देखने लग गई।
पायल की देह का रंग एकदम सफ़ेद था.. एकदम बेदाग जिस्म.. उसके पतले मखमली होंठ.. तीखी सुतवां नाक.. लंबे बाल और उस पर उसका क़यामत ढहाने वाला फिगर.. उफ्फ.. इस वक़्त अगर कोई उसे देख ले.. तो बिना कुछ करे ही उसका लंड फेल हो जाए।
अब पायल का फिगर तो आपको पता ही होगा.. चलो बिना कपड़ों के दोबारा देख लो।

उसके 32″ के नुकीले मम्मे.. जिसे देसी भाषा में खड़ी छाती भी कहते हैं और उन पर भूरे रंग के छोटे-छोटे बटन… यानि निप्पल.. इस वक़्त पायल की उत्तेजना के कारण ये तन कर खड़े हो गए थे.. जैसे दुनाली बंदूक की दो नालें हों। बस अभी इनमें से गोली निकलेगी और शीशे के टुकड़े कर देगी।
एकदम हिरनी जैसी पतली कमर और एटम बम्ब जैसी 32″ के मुलायम चूतड़.. जिस पर एक साइड में छोटा सा काला तिल.. जो चूतड़ों की सुन्दरता को और बढ़ा रहा था।
जब यह चलती है.. तो रास्ते में लोग बस यही कहते हैं, ठुमकते और थिरकते हुए चूतड़ों का कभी ये पलड़ा ऊपर.. तो कभी वो पलड़ा ऊपर.. क्योंकि पायल की गाण्ड बहुत ही ज़्यादा लचीली थी.. इसके चलने के साथ थिरकती थी।

अब ज़रा इस कमसिन कली की चूत पर भी नज़र डाल लो.. हल्के रेशमी रोंए के बीच डबल रोटी जैसी फूली हुई.. और नाव जैसी नोकदार चूत.. जिसमें बस एक गुलाबी लकीर ही दिख रही थी.. बाकी पूरी चिपकी हुई.. ये एकदम अनछुई कली की पंखुरी थी।
उसकी चूत से हल्का-हल्का पानी रिस रहा था जिसे देख कर आईना भी शरमा गया था।

पायल की आँखें एकदम लाल सुर्ख हो गई थीं.. वो बहुत ज़्यादा चुदासी सी गर्म थी। उस वक़्त शीशे में वो अपने आपको देख कर बुदबुदाने लगी- अरे वाह पायल.. तू तो बहुत सेक्सी है.. तेरा ये जिस्म तो अच्छे अच्छों की वाट लगा सकता है.. मगर तू है कि शराफत का ढोंग किए फिरती है। सब तुझे बहुत सीधी समझते हैं मगर तू सब कुछ जानती है.. नेट से तूने वीडियो देखे हैं तेरी सहेलियाँ तुझे अपनी चुदाई की बातें बताती हैं कभी-कभी तू अपनी चूत को रगड़ कर शांत भी करती है.. तो ये कैसी शराफत हुई हाँ.. किसी से चुदवाती क्यों नहीं तू.. हाँ.. बता न..!

कुछ देर वो मुस्कुराती रही.. उसके बाद दोबारा अपने आपसे बात करने लगी। इस वक़्त ऐसा लग रहा था कि जैसे पायल अपनी अंतरात्मा से बात कर रही हो।
पायल- नहीं नहीं.. मैं क्यों किसी से चदवाऊँ.. मैं शरीफ ही हूँ। ये सब तो आजकल सब करते हैं अब मॉर्डन लड़की हूँ.. सब जानती हूँ तो इसमे. क्या बुराई है। अपनी आग मिटाने के लिए चूत को रगड़ती हूँ.. इसमे. क्या है.. सब करती हैं।

कुछ देर वो चुप रही.. उसके बाद उसको अहसास हुआ कि ये उसको क्या हो रहा है.. क्यों वो अपने आपसे ऐसी बातें कर रही है। अगर वो इतनी ही शरीफ होती तो अभी कुछ देर पहले अपने भाई के लंड को पकड़ कर मज़ा ना लेती। उसकी चूत अपने भाई के लंड के बारे में सोच कर पानी ना छोड़ती।

पायल को जब पुनीत के लंड का ख्याल आया.. तो उसके होंठों पर अजीब सी मुस्कान आ गई और वो एक साइड बैठ कर अपनी चूत को रगड़ने लगी।

पायल- आह उई.. भाड़ में जाए दुनिया.. आह ऐइ.. ससस्स.. अब बहुत शराफत हो गई.. आह्ह.. किसी दूसरे को मज़ा देने से अच्छा है.. आह्ह.. अपने भाई को ही मज़ा दे दूँ… आह्ह.. भाई आह्ह.. आज से आपकी गुड्डी आ..आपकी हो गई.. आह्ह.. अपने मोटे लौड़े से मेरी चूत फाड़ दो.. आह मुझे अपना बना लो आह..

कुछ देर बाद पायल की चूत से रज की धारा बहने लगी.. उसकी गोरी जाँघें पानी से भर गईं.. अपने भाई का नाम लेकर उसकी चूत ने आज पहली बार इतना ज़्यादा पानी छोड़ा था.. अब वो शांत हो गई थी।
कुछ देर बाद उसने अपने आपको साफ किया.. कपड़े पहने और आकर वापस पुनीत के पास लेट गई।

पता नहीं कितनी देर तक वो इस घटना के बारे में सोचती रही, यह सही है या ग़लत.. ये फैसला करती रही। मगर किसी नतीजे पर पहुँचने से पहले वो नींद की दुनिया में खो गई।

सुबह 7 बजे पायल को अपनी जाँघ पर कुछ गीला-गीला सा महसूस हुआ.. जब उसने आँख खोली.. तो मंज़र कुछ इस तरह था कि वो पुनीत से चिपकी हुई थी। पुनीत का एक हाथ उसकी कमर पर था.. तो दूसरा उसके एक मम्मे पर.. और पुनीत की टाँगें उसकी जाँघों पर थीं.. इस तरह पुनीत का लौड़ा उसकी एक जाँघ पर था.. जहाँ उसको गीला महसूस हुआ था।

वो जल्दी से उठी.. तो देखा पुनीत का लौड़ा पानी छोड़ चुका है.. शायद उसके जिस्म की गर्मी से वो पिघल गया होगा। ये सब देख कर पायल का मान बेचैन हो गया। वो जल्दी से उठी और अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गई।

पायल- शिट.. ये क्या हो गया.. भाई का नाइटफ़ाल हो गया.. सब मेरी ग़लती है.. रात को मैंने उनको बहुत गर्म कर दिया था और अभी भी कैसे चिपक कर सोई थी। अब वो उठेंगे तो क्या सोचेंगे मेरे बारे में.. नहीं नहीं.. मैं कह दूँगी कि मैं तो रात को ही अपने कमरे में वापस आ गई थी। इस तरह वो शरमिंदा होने से बच जाएँगे.. नहीं तो बेचारा मेरा प्यारा भाई.. कभी भी मुझसे नजरें ही नहीं मिला पाएगा।

ये सोच कर वो वापस अपने बिस्तर पर सोने की कोशिश करने लगी। कुछ और भी विचार उसके मन में आए.. जिस कारण उसके मखमली होंठों पर मुस्कान आ गई थी। कुछ देर बाद वो वापस से सो गई।

दोस्तो, यहाँ सब सोए हुए हैं गाँव में लोग जल्दी उठ जाते हैं और वैसे भी कल दोपहर के बाद मुनिया के पास हम गए ही नहीं.. तो चलो थोड़ा पीछे चलते हैं।

अर्जुन और मुनिया चुदाई के बाद वापस घर चले गए.. शाम तक सब नॉर्मल था.. रात के खाने के बाद अर्जुन दोबारा मुनिया के घर गया।
अर्जुन- अरे काकी.. क्या हाल हैं आज तो बड़ी बढ़िया महक आ रही है।
काकी- हाँ बेटा.. मुनिया के काम के जो पैसे मिले थे.. मैं उनसे ही खुश थी.. मगर शाम को मुनिया ने 5000 और दिए और कहा कि ये पैसे मैं देना भूल गई थी। बस उसी ख़ुशी में हलवा बना रही हूँ.. सच्ची वे बहुत ही भले लोग हैं।

अर्जुन- वाह काकी.. इतने से दिन के इतने पैसे.. ये तो वाकयी में बड़े सेठ हैं।
मुनिया- चल हट.. ये पूरे महीने की पगार है.. जल्दी ही वो वापस आएँगे.. मुझे पहले ही पैसे दे दिए.. ताकि मैं किसी और को काम के लिए ‘हाँ’ ना कह दूँ.. समझे..
अर्जुन- अच्छा ये बात है.. मैं समझा ऐसे ही दे दिए..
काकी- चल आजा.. तू भी खा कर देख कैसा बना है..

अर्जुन ने भी थोड़ा हलवा खाया.. उसके बाद वहीं बैठ गया, काफ़ी देर तक तीनों बातें करते रहे।

Quote

अपडेट  ३६

अब तक आपने पढ़ा..

अर्जुन- वाह काकी.. इतने से दिन के इतने पैसे.. ये तो वाकयी में बड़े सेठ हैं।
मुनिया- चल हट.. यह पूरे महीने की पगार है.. जल्दी ही वो वापस आएँगे.. मुझे पहले ही पैसे दे दिए.. ताकि मैं किसी और को काम के लिए ‘हाँ’ ना कह दूँ.. समझे..
अर्जुन- अच्छा यह बात है.. मैं समझा ऐसे ही दे दिए..
काकी- चल आजा.. तू भी खा कर देख, कैसा बना है?
अर्जुन ने भी थोड़ा हलवा खाया.. उसके बाद वहीं बैठ गया। काफ़ी देर तक तीनों बातें करते रहे।

अब आगे..


Advertisement
Scroll Up
उसके बाद काकी ने कहा- मुझे तो नींद आ रही है.. तुम दोनों बातें करो.. मैं सोने जाती हूँ.. और मुनिया तू भी जल्दी आ जाना.. बातों में ना बैठी रहना।

दोस्तो, मुनिया का छोटा सा घर था.. एक कमरा.. उसके पास ही रसोईघर और छोटा सा आँगन.. उसके पास एक बाथरूम नहाने के लिए.. बाकी हाजत के लिए तो ज़्यादातर गाँव वाले खुले में ही जाते थे। घर के ऊपर छत.. बस जहाँ वो कपड़े सुखाते थे।

मुनिया अपनी माई के साथ एक ही कमरे में सोती थी। वहाँ दो चारपाई थीं.. कोई मेहमान आ जाए तो इन्होंने उसके लिए छत पर भी एक चारपाई रखी हुई थी।
वैसे गरीबों के यहाँ कौन मेहमान आता है.. बेचारे खुद ही एक वक्त का खा पाते हैं बाकी वक्त तो भूखे ही रहते हैं। यही गरीबी की हक़ीकत है।

चलिए आगे देखते हैं..

मुनिया- माई तो सो गई.. चलो हम ऊपर जाकर बातें करेंगे।
दोनों ऊपर जाकर बैठ गए.. अर्जुन का मूड कुछ और ही था, वो मुनिया के कंधे से होता हुआ उसकी चूची सहलाने लगा।

मुनिया- अरे यह क्या कर रहे हो.. दोपहर में तो इतना दबाया था.. क्या तुम्हारा उससे मन नहीं भरा था।
अर्जुन- अरे मुनिया.. तू तो मेरी बरसों की तपस्या है.. ना जाने कब से इन रसीले अनारों को देख कर खुश होता था कि कब इनको दबाने का मौका मिलेगा.. कब इनका रस मेरे होंठों पर लगेगा.. और तू मना कर रही है।
मुनिया- बस अब रहने दो.. इतना वक़्त नहीं है मेरे पास.. माई ने क्या कहा.. सुना नहीं था क्या?

अर्जुन- हाँ पता है.. जल्दी आने को कहा था.. मगर काकी एक बार सो जाए तो कहाँ उठती है।
मुनिया- तो इसका मतलब हम सारी रात यहाँ बैठ कर बातें करेंगे?

अर्जुन- अरे मेरी भोली रानी.. बातों में क्या रखा है.. दोपहर में चुदाई अधूरी रह गई थी.. उसको पूरा करने करने आया हूँ।
मुनिया- चल हट बदमाश.. इतनी तो चुदाई करी थी.. अब मैं कुछ नहीं करूँगी।
अर्जुन- अरे मान जा ना.. तेरे चक्कर में वो सुखिया की बीवी को ‘ना’ कहकर आया हूँ.. वो आज के लिए तैयार थी।
मुनिया- तू बहुत हरामी हो गया है रे… किस-किस को चोदेगा.. मुझसे प्रेम करता है तो ये सब बन्द कर दे..
अर्जुन- अरे बंद कर दिया.. तभी तो उसको मना किया है। वैसे भी इस गाँव में ऐसा तगड़ा लौड़ा किसी के पास नहीं है और जिस-जिस को इसकी खबर लगी.. बस अपनी चूत मेरे आगे कर दी.. सबको बड़ा.. लौकी टाइप का लंड चाहिए होता है।

मुनिया- हाँ ये तो है.. तू चोदता भी देर तक है.. मज़ा भी खूब देता है। मुझे एक बात समझ नहीं आई.. कि मैं चुदी हुई थी.. तब भी तेरे लौड़े ने मेरी जान निकाल दी.. तो निधि तो मुझसे बहुत छोटी है और कुँवारी भी है.. वो कैसे सह गई तेरे इस मोटे लौड़े को?

अर्जुन- अरे सहती कैसे नहीं.. उसको इतना गर्म कर दिया था और चूत को चाट-चाट कर साली को 2 बार झाड़ा.. उसके बाद जाकर कहीं लौड़ा पेला.. साली बहुत चिल्लाई.. मगर मैंने मुँह बन्द कर दिया उसका.. और चोदता रहा। पता है साली बेहोश तक हो गई थी.. मगर मैंने हार नहीं मानी और चोदता रहा। जब झड़ा तो ऐसा झड़ा कि मेरे लवड़े ने इतना पानी फेंका.. जितना पहले कभी ना फेंका हो। उसकी चूत से खून भी बहुत निकला था।

अर्जुन एक हाथ से अपने लौड़े को मसलता हुआ ये बात बता रहा था। उसका लंड निधि की चुदाई को याद करके तन गया था।
मुनिया- हे राम.. बेचारी बहुत रोई होगी ना.. कितना दर्द हुआ होगा उसको… वो यहाँ आई कैसे?
अर्जुन- अरे तू क्या करेगी सब जानकर.. क्यों मुझे तड़पा रही है.. चल आजा ना.. मेरे लौड़े को ठंडा कर दे.. उसके बाद जो पूछना है.. पूछ लेना..
मुनिया- नहीं मुझे उसकी पूरी कहानी बताओ.. कैसे वो तेरे झाँसे में आई थी।
अर्जुन- ठीक है बताता हूँ.. मगर एक शर्त पर.. तू मेरा लौड़ा चूसती रह.. मैं कहानी सुनाता रहूँगा।

मुनिया उसकी बात मान गई। वो चारपाई पर बैठ गया.. उसके नीचे मुनिया उकड़ू बैठ गई और उसके लौड़े को चूसने लगी, उसने लौड़ा मुँह में लेते ही आँख से अर्जुन को बोलने का इशारा किया।

अर्जुन- तू भी मानेगी नहीं.. आह्ह.. आराम से चूस मेरी रानी.. कहीं दाँत लग गए तो कई लड़कियाँ विधवा हो जाएंगी.. मेरे लौड़े के बिना.. हा हा हा..

मुनिया बड़े प्यार से लौड़े को चूसने में लग गई थी।
अर्जुन- आह्ह.. अब मज़ा आ रहा है.. ऐसे ही चूस.. और सुन तू तो जानती ही है.. निधि का बड़ा भाई पक्का शराबी है.. रात-रात भर घर से बाहर रहता है और उसकी भाभी वासना की आग में जलती रहती है। बस इसी मौके का फायदा उठा कर मैंने उसकी बीवी को पटा लिया और अक्सर उसके घर के पिछवाड़े झाड़ियों में उसको चोदने जाता था।

एक दिन साली निधि.. पेशाब करने रात को उधर ही आ गई और हम दोनों को चुदाई करते हुए उसने देख लिया। उसकी भाभी बहुत डर गई कि अब सुबह पक्का हंगामा होने वाला है.. हमारी चुदाई भी अधूरी रह गई। वो निधि तो वहाँ से भाग गई.. मगर उसकी भाभी को डर था कि अभी किसी तरह उसको समझाती हूँ.. यही बोलकर वो वहाँ से चली गई।

मुनिया- बाप रे रात को झाड़ियों में.. डर नहीं लगता था तुमको?
अर्जुन- अरे रानी जब चूत मिलती है ना.. तो मखमल के गद्दे नहीं.. बस मौका चाहिए.. जगह चाहे कैसी भी हो.. चलती है.. अब तू लौड़ा चूस और आगे का हाल सुन-

निधि नादान थी.. नासमझ थी.. उसको बस उस वक्त यही समझ आया कि जो हो रहा था.. वो बहुत गंदा था मगर वो खुद बहुत डर गई थी।
रात को तो उसकी भाभी ने उसे किसी तरह समझा दिया कि वो किसी को ना बताए और हुआ भी वैसा ही.. सुबह उसने किसी को कुछ नहीं बताया..
मगर अब वो अपनी भाभी से थोड़ा रूखा बर्ताव करती थी और एक डर हमेशा उसकी भाभी को लगा रहता था कि ना जाने कब ये राज खोल दे..
बस इसी के चलते उसने मुझसे कहा कि किसी तरह इस निधि को चोद कर अपनी गुलाम बना लो.. ताकि हमारी चुदाई में कोई रुकावट ना आए।

मुनिया लौड़े को चूसे जा रही थी और अर्जुन की बातों से उसकी चूत भी गीली होने लगी थी, उसने इशारे से कहा कि आगे क्या हुआ?

अर्जुन- सस्स.. आह्ह.. चूसती रह.. आह्ह.. मेरी गोटियाँ भी अपने हाथ से सहलाती रह.. तुझे आगे का हाल सुनाता हूँ.. आह्ह.. उफ़फ्फ़..।
एक दिन उसके घर में कोई नहीं था.. बस वो दोनों ही थे.. मैं वहाँ गया..

Quote

अपडेट  ३७

अब तक आपने पढ़ा..

भाभी- अर्जुन.. यहाँ नहीं.. तू निधि को अपने साथ खेत ले जा.. वहाँ तुम दोनों जितना मर्ज़ी ये खेल का मज़ा ले लेना.. यहाँ तो कोई ना कोई आ जाएगा.. वैसे सब घर वाले तो दूसरे गाँव शादी में गए हैं रात देर से आएँगे। तुम आराम से निधि को सब सिखा कर लाना।
अर्जुन- अरे सब बाहर गए हैं तो यहीं खेलता हूँ ना.. इसके साथ..
भाभी- नहीं अर्जुन.. बात को समझो.. यहाँ आस-पड़ोस की औरतें आती रहती हैं और ये एकदम कुँवारी है.. शोर भी ज़्यादा करेगी.. तू इसको खेत पर ही ले जा।

अब आगे..



निधि बेचारी कहाँ उनकी बातें समझ रही थी, उसको तो बस ये सब खेल ही लग रहा था।
निधि- चलो ना अर्जुन.. खेत में ही चलते हैं शाम तक मज़ा करेंगे.. यहाँ कोई आएगा.. तो अपना खेल रुक जाएगा।
अर्जुन ने ‘हाँ’ कह दी और निधि को ले जाने को तैयार हो गया।

भाभी- देखो अर्जुन.. अभी निधि बहुत छोटी है.. और तुम्हारा गन्ना बहुत बड़ा और मोटा है.. ज़रा संभाल कर करना कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए।
अर्जुन- डरो मत भाभी मेरा गन्ना बड़ा जरूर है.. मगर मैं बहुत आराम से करूँगा.. देखना शाम तक इसको ऐसा बना दूँगा कि ये तुमसे बड़ी खिलाड़ी बन जाएगी।
निधि- ओह्ह.. सच्ची… कहाँ है गन्ना..? मुझे चूसना है भाभी.. बताओ ना..
भाभी- अर्जुन के पास है.. इसके साथ जा.. वहाँ तुम्हारा जितना जी चाहे.. जाकर खूब चूसना..

अर्जुन चालक लड़का था उसने निधि को पहले बाहर भेज दिया और खुद बाद में निकला.. ताकि किसी को कोई शक ना हो।
आगे चलकर वो उसके साथ हो गया और अपने खेत पर ले गया।

अर्जुन की कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी.. मुनिया लौड़े को चूसने के साथ-साथ हाथ से आगे-पीछे भी कर रही थी।
अर्जुन- आह्ह.. चूस.. मेरी मुनिया.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. उफ़फ्फ़.. तेरा मुँह भी किसी चूत से कम नहीं है आह्ह..

मुनिया ने लौड़ा मुँह से निकाल दिया और हाथ से मुठ्ठ मारने लगी।
मुनिया- उफ्फ.. तेरा लौड़ा तो बहुत पक्का है.. झड़ता ही नहीं.. मुँह दुखने लगा मेरा तो..
अर्जुन- अरे रानी इसे चूत में झड़ने की आदत है.. तू है कि चुदवाने को मानती नहीं।

मुनिया- बस बस.. आगे मत जा.. मेरे मुँह को थोड़ा आराम दे दे.. दोबारा चूस लूँगी.. तू आगे सुना.. निधि को पटाया कैसे?
अर्जुन- अरे पटाना क्या था.. वो तो आई इसी लिए थी.. कमरे में आते ही कहने लगी कि अब अपना गन्ना दिखाओ.. मुझे उसको चूसना है।

मुनिया- ऐसे नहीं.. पहले की तरह आराम से सब बता.. जैसा हुआ था।
अर्जुन- अच्छा मेरी रानी.. ठीक है.. वैसे ही बताता हूँ। तू अपना हाथ मत रोक और बीच-बीच में थोड़ा चूस भी ले.. ताकि मुझे भी बराबर मज़ा मिलता रहे.. समझी..
मुनिया- हाँ ठीक है.. मगर मुझे सब विस्तार से बताओ।

अर्जुन ने जो हुआ वैसे ही बताना शुरू कर दिया।

कमरे में आते ही निधि ने कहा- अब मुझे गन्ना दिखाओ.. कहाँ है.. मुझे उसको चूसना है।
अर्जुन- अरे दिखा दूँगा.. मगर पहले अपने कपड़े तो निकालो।
निधि- मुझे शर्म आती है.. पहले तुम अपने निकालो।

उसकी बात सुनकर मुझे अच्छा लगा मैंने अंडरवियर के अलावा सब कपड़े निकाल दिए। उसकी नज़र मेरे लौड़े के उभार पर टिक गई.. जो अभी आधा ही खड़ा था।
अर्जुन- ले मैंने तो निकाल दिए.. अब तेरी बारी है.. चल निकाल..
निधि- तुम अपनी आँख बन्द करो.. तब निकालूँगी मैं.. अपने कपड़े..
अर्जुन- अच्छा लो कर ली आँख बन्द.. अब जल्दी करो.. नहीं तो गन्ना नहीं दूँगा..

अर्जुन के आँख बन्द करते ही निधि ने अपने कपड़े निकाल दिए ब्रा वो पहनती नहीं थी.. उसने अपने जिस्म पर बस चड्डी बाकी रखी..

जब अर्जुन ने आँख खोली तो निधि को देख कर उसकी वासना जाग गई। लंड चड्डी में अकड़ने लगा.. क्योंकि निधि के छोटे-छोटे नीबू किसी टेनिस बॉल की तरह उसके सामने थे और चड्डी में छुपी उसकी चूत का उभार साफ नज़र आ रहा था।

अर्जुन- अरे वाह.. तू तो बहुत सुन्दर है.. ये चड्डी क्यों नहीं निकाली?
निधि- तुमने भी तो नहीं निकाली ना..
अर्जुन- अरे पगली.. इसमे. एक जादू छुपा है.. जो तुम्हें बाद में दिखाऊँगा.. तू पहले अपनी चड्डी निकाल। देख हम खेल शुरू करते हैं बड़ा मज़ा आएगा..

निधि बेचारी कहाँ जानती थी कि आज उसके साथ क्या होने वाला है। उसने अपनी चड्डी भी निकाल दी, अब उसकी बिना झांटों की फूली हुई चूत अर्जुन के सामने आज़ाद थी।

अर्जुन- देख निधि तू यहाँ लेट जा.. मैं तुझे ऐसा मज़ा दूँगा कि तू मुझे हमेशा याद करेगी।
निधि- ठीक है.. मगर मुझे अब तक गन्ना नहीं दिखाया।
अर्जुन- अरे उसका समय नहीं आया अभी.. पहले तुझे स्वर्ग तो दिखा दूँ.. उसके बाद गन्ना भी देख लेना।

निधि कुछ नहीं समझी और चुपचाप लेट गई। अब बारी अर्जुन की थी.. वो उस कमसिन कली के ऊपर चढ़ गया। उसके पतले होंठों को चूसने लगा.. उसके छोटे-छोटे अनारों को सहलाने लगा। कभी उसके एक मम्मे को मुँह में लेकर चूसता.. कभी दबाता.. इस सारे खेल में निधि बस सिसकारियाँ लेती रही।
अब जवानी जब उफान पर हो.. तो ऐसी हरकतें मज़ा देती ही हैं तो निधि भी मज़ा लूट रही थी।

निधि- आह.. ससस्स.. अर्जुन उफ़फ्फ़ गुदगुदी हो रही.. आह.. लेकिन आह्ह.. बड़ा मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. ऐसे ही करते रहो आह्ह.. ये खेल तो बड़ा मजेदार है.. आह्ह.. आह्ह..
अर्जुन कहाँ कुछ बोलने वाला था वो तो नशे में खो गया था.. जैसे कच्ची शराब आदमी के होश उड़ा देती है.. वैसे ही कच्ची कली भी आदमी को वहशी बना देती है.. वो अपना मानसिक संतुलन खो देता है।

अर्जुन भी पागल हो गया था। अब वो निधि के दोनों मम्मों को बुरी तरह चूसने और दबाने लग गया था.. जिससे निधि को थोड़ी तकलीफ़ होने लगी थी।
निधि- आह्ह.. अर्जुन उफ्फ.. दुख़ता है.. आह्ह.. आराम से दबाओ ना.. आह्ह.. उई..

अर्जुन अब उसकी नाभि पर जीभ फिराने लगा और उंगली से उसकी चूत को रगड़ने लगा। वो तो हवा में उड़ने लगी.. उसको बड़ा मज़ा आने लगा। मगर जब अर्जुन ने अपने होंठ उसकी सुलगती चूत पर रखे.. तो वो सिहर गई और जल्दी से उठ कर बैठ गई..
निधि- सस्स.. आह्ह.. अर्जुन ये क्या कर रहे हो.. ये गंदी जगह है.. यहाँ से सूसू लगता है.. यहाँ मत करो.. अहह..

अर्जुन- अरे मेरी कच्ची कली.. तुझे क्या पता.. यही तो वो जगह है.. जहाँ से अमृत निकलता है.. तू चुप करके देख.. मज़ा आता है या नहीं.. बाद में कुछ बोलना.. सही बता मैंने यहाँ चूमा तो मज़ा आया ना?
निधि के गाल शर्म से लाल हो गए थे। उसने धीरे से ‘हाँ’ में गर्दन हिलाई।
अर्जुन- ये हुई ना बात.. चल लेट जा अब तेरी फुद्दी को चाट कर तुझे मज़ा देता हूँ।

अर्जुन निधि की चूत के होंठों को मुँह में दबा कर चूसने लगा.. साथ ही उसकी जाँघों को मसलने लगा।
निधि- आह्ह.. सस्सस्स अईह्ह.. अर्जुन आह.. ये खेल तो आह्ह.. बहुत मजेदार है.. आह्ह.. उफ़फ्फ़ मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. ज़ोर से करो ना.. आह्ह.. ससस्स करते रहो..
निधि नादान थी.. मगर चूत की चटाई उसको उत्तेजित कर रही थी.. उसकी वासना बढ़ने लगी थी। इधर अर्जुन भी पूरा चाटू था.. वो चूत को हर तरीके से चूस और चाट रहा था..

कुछ देर तक ही ये खेल चला.. क्योंकि ऐसी ज़बरदस्त चुसाई से निधि अपना संतुलन खो बैठी।
निधि- आह्ह.. आईईइ.. ससस्स.. अर्जुन हटो आह्ह.. मेरा ज़ोर से आह्ह.. सूसू आ रहा है.. आह्ह.. नहीं.. उफ़फ्फ़.. हटो.. नहीं तो तुम्हारे मुँह में कर दूँगी.. आह्ह.. अईह्ह…

कुछ पल के लिए अर्जुन ने अपना मुँह हटाया और उंगली से चूत के दाने को रगड़ता हुआ बोला।
अर्जुन- मेरी रानी ये सूसू नहीं.. अमृत है.. आने दे.. कर दे.. तू बस अपना जिस्म ढीला छोड़ दे.. देख कैसा मज़ा आता है।

इतना कहकर वो दोबारा चूत को होंठों में लेकर चूसने लगा। यही वो पल था कि एक अनछुई कली पहली बार ओर्गसम पर थी.. उसका रस चूत को चीरता हुआ बाहर आने को बेताब था। उसकी साँसें फूलने लगी थीं..
निधि सर को इधर-उधर पटकने लगी थी। चारपाई की रस्सी को उसने ज़ोर से पकड़ लिया था। मानो उसके जिस्म का सारा खून तेज़ी से चूत के रास्ते निकल रहा हो.. वो ऐसा महसूस कर रही थी।

वो झड़ने लगी और अर्जुन उसे आइसक्रीम की तरह चाटने लगा।
काफ़ी देर तक चूत को चाटने के बाद अर्जुन सीधा हुआ, तब तक निधि भी बेहाल सी हो गई थी, वो लंबी-लंबी साँसें ले रही थी.. उसके मासूम चेहरे पर जो मुस्कान उस वक़्त थी.. वो देखने काबिल थी। अर्जुन उसको देखता ही रह गया..

निधि- ऐसे क्या देख रहे हो.. मुझे शर्म आती है..
अर्जुन- अच्छा.. अभी फुद्दी चटवाने के समय तो बहुत चिल्ला रही थीं.. ज़ोर से चाटो.. मज़ा आ रहा है.. अब कैसी शर्म आ रही है..
निधि- मैं ऐसे बिना कपड़ों के तेरे सामने हूँ ना.. इसलिए.. और तू बड़ा गंदा है मेरा सारा सूसू पी गया..
अर्जुन- अरे पगली.. मैंने कहा ना.. वो सूसू नहीं रस था। अब तू देख अगर सूसू होता तो ये चारपाई पर थोड़ा तो गिरता.. वो तो बस थोड़ा सा निकलता है.. इसे फुद्दी रस कहते हैं।

निधि बैठ गई और चारों तरफ़ देखने लगी.. सच में वहाँ कुछ नहीं था.. वो हैरान हो गई।
निधि- अरे सच्ची.. कुछ नहीं है.. मगर ये रस पहले कभी क्यों नहीं निकला मेरी फुद्दी से?
अर्जुन- ये अपने आप नहीं निकलता.. इसे निकालना पड़ता है.. जैसे मैंने आज निकाला है.. समझी..
निधि- हाँ समझ गई.. तभी भाभी को मज़ा आता है.. वो छुप कर आपसे रस निकलवाने आती हैं मगर उस दिन आप भाभी के ऊपर लेटे हुए हिल रहे थे.. वो कौन सा खेल है।

अर्जुन- वो रस निकालने का दूसरा तरीका है.. जो फुद्दी में गन्ना घुसा कर निकाला जाता है..
निधि- अच्छा… कैसे कैसे.. मुझे बताओ ना.. और ये गन्ना है कहाँ.. कब से बस बोल रहे हो.. दिखाते ही नहीं हो..
अर्जुन- अब समय आ गया है मेरी रानी.. चल अपनी आँख बन्द कर और खोलना मत.. ये भी एक खेल है.. बहुत मज़ा आएगा..

Quote






indiansexfree videossali ki chuthot indian saree photosmarathi sex stories pdfgay storsex stories marathitrisha hot sex storiesdesi xxcexbii sex story hindihindi sex xtamil akka sex storyshot auntiedreal sex stories in urduindian incent storiesmarathi sex storysdesi story with picssexies storychut ka mazasex kathai tamil languageindian aunties exposingprostitutes xxx videoshot blouse auntiesstories in hindi fontsexstoryhindigandchudaiindian hairy armpits photossex story kiraye ke badle choot maang li aunty seneha babhiaunties scandalsexbii fakessex stories teluguphudi picdesi maal for shag facebook pageforceful xxxgiral and boy xxxhot mallu storiesladke ka lundcanadian desi chatcrossdress incest storiesandhra aunty hotchavat goshtihairy armpit sex picsboor me louda pelo madarchodhidden mms clipsdesi sexy punjabiboor mein landtamil amma sex storysex stories blackmailmadhuri dixit sexxsexy story in hinglishxxx in telugumaa beta sex stories in hindigujrati sex storiesbiso range mahala kandehi desi gand picturestamilsex jokesdesi cleavagestollywood nude.comsexy hindi stories in hindihindi sexy kahanismallu porn starsbaap beti ka pyarjeth jipnjabi saxhema malini sexy boobsmilfover30Bahi ne kiya bahen ka beltkar xxx belu adelit video desiincest storiessextories10 inch dicks picsdex storiesaishwarya rai nude exbiitelugu sex story blogssmelly panties storiesdesi hot malsavita bhabi sex story in hindiboons nudeHindi pornspeeking videoS