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Wife Yeh MUMMY bhi NA

bhabhi
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जैसे ही राहुल दरवाजा खोल के घर के बाहर कदम रखा वैसे ही विनीत की भाभी बोली।

अच्छा राहुल एक बात बताओ कल तुम खिड़की से चोरी चोरी क्या देख रहे थे?

( विनीत की भाभी की बात सुनकर वह एकदम से सकपका गया और बिना कुछ बोले वहाँ से निकल गया।
राहुल की हालत को देख कर विनीत के बाद भी हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)

कल आना जरुर भूल मत जाना।
( इतना कहकर वह भी कमरे में आ गई और सोफे पर बैठकर राहुल के बारे में सोचने लगी। राहुल की मासूमियत का भोला चेहरा उसे भाने लगा था। और राहुल की हरकत से वह समझ गई थी कि यह लड़का पूरी तरह से कुंवारा है शायद ईसने अबतक जन्नत का मजा नहीं लूटा था। बार-बार उसे राहुल का तंबू ही नजर आ रहा था वह उस तंबू को देख कर बड़ी हैरान थी।
वह मन ही मन में सोच रही थी कि पेंट मे अगर इतना भयानक लग रहा है कि पूरी तरह से नंगा होकर टनटना के खड़ा होगा तब कितना विशालकाय लगेगा। यही सोच सोच कर कि पैंटी गीली हो चली थी।
अगर वह चाहती तो राहुल को नोटबुक दे सकती थी लेकिन वीनीत की भाभी बड़ी कामुक और चालबाज स्री थी । तभी तो वह अपने देवर को अपना दीवाना बना कर रखी थी और उसी से अपने बदन की प्यास बुझाती रहती थी। वह इतनी ज्यादा कामुक स्त्री थी की तीन चार दिनो से वह अपने देवर को स्कूल जाने नहीं दी थी और दिन रात उसको भोग रही थी। अब उसकी नजर विनीत के मित्र मतलब कि राहुल पर थी। विनीत की भाभी कामक्रीडा के हर पासाओ मैं इतनी ज्यादा माहिर और शातीर थी की अगर वह चाहती तो इसी वक्त राहुल के कुंवारेपन को नीचोड़ डालती लेकिन उसे डर था कि विनीत कभी भी घर पर आ सकता है इसलिए उसने अपने इस प्लान को कैंसल कर दी। और एक चाल के तहत उसे कल फिर आने का आमंत्रण भी दे दी।
क्योंकि वह जानती थी कि राहुल अगर विनीत से मिलेगा तो वह खुद ही उससे नोटबुक ले लेगा और ऐसे में उसके मन की अभिलाषा उसके मन मे ही दबकर रह जाएगी। इसलिए वह मन में ही सोच ली थी की वह विनीत को राहुल से मिलने ही नहीं देगी । कल विनीत फिर से स्कूल नहीं जाएगा और उसको जाएगा नहीं तो राहुल से मुलाकात भी नहीं होगी और मुलाकात नहीं होगी तो राहुल को नोटबुक भी नहीं मिलेगी। और फिर राहुल को नोटबुक लेने के लिए वीनीत के घर आना ही पड़ेगा। वीनीत की भाभी ने मन मे पूरा प्लान सोच कर रखी थी कि जब स्कूल छूटने के बाद राहुल घर पर आएगा तो उससे पहले ही विनीत को किसी काम के बहाने घर के बाहर दो चार घंटो के लिए भेज दूंगी और ऐसे में राहुल के कुंवारेपन को चखने का पर्याप्त समय भी मिल जाएगा।
सोफे पर बैठे बैठे ही विनीत की भाभी कल की पूर्व रेखा मन में ही तैयार कर रही थी। राहुल के बारे में सोच-सोच कर ही उसकी बुर रीसने लगी थी। इस हालत में उसे वीनीत के लंड की जरूरत पड़ रही थी।राहुल के ऊठाव के बारे में सोच-सोच कर उसकी बुर की खुजली बढ़तीे जा रहीे थी। उसे अपने बुर की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी वीनीत जब आता तब आता इससे पहले ही वह अपनी साड़ी को उठा कर कमर तक खींच ली और पैंटी को बिना निकाले हैं उसकी किनारी को खींचते हुए बुर के उठे हुए भाग के किनारे अटका दी जिससे बुर का पूरा उपसा हुआ भाग और बुर की गहरी घाटी के समान लकीर पूरी तरह से नंगी हो गई। विनीत की भाभी की साँसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी। उसका बदन चुदासपन से भरा जा रहा था। विनीत की भाभी के लिए अब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था
उसने झट से अपनी हथेली को अपनी गरम बुर पर रख दी ओर हथेली को बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ने लगी लेकिन उसकी यह क्रिया आग में घी डालने के बराबर साबित हो रही थी। वह जितना अपने आग को बुझाने की कोशिश करती उसके बदन की आग और ज्यादा भड़कने लग रही थी। वह सोफे पर हल्के से लेट गई और अपने एक हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी नारंगी यों को दबाने लगी और दूसरे हाथ से अपने बुर को रगड़े जा रही थी। अपनी बुर को मसलते हुए बार-बार उसकी जेहन में राहुल के पेंट का उभार का ही ख्याल आ जा रहा था और जब जब उसका ख्याल आता है वीनीत की भाभी जल बिन मछली की तरह तड़प उठती ।
बदन में चुदाई की लहर बढ़ती जा रही थी उसने एक साथ अपनी बुर में दो ऊंगलियो की जगह बना दी। जहां तक हो सकती थी वहां तक वह अपनी उंगली को घुसा रही थी। इस समय वह उत्तेजना से सरो बोर हो रही थी।
बड़ी तेजी से उसकी ऊँगली बुर में अंदर बाहर हो रही थी। विनीत की भाभी अपनी आंखों को मुंदकर राहुल के लंड का ख्याल करके अपनी बुर मे बड़ी तेजी से ऊँगली को अंदर बाहर कर रही थी। पूरे कमरे में उसकी गर्म सिसकारी गूंज रही थी। वीनीत की भाभी सोफे पर अपनी गदराई गांड को घिसते हुए अपनी बुर में उंगली पेले जा रहीे थी। वीनीत की भाभी की बुर नमकीन पानी से लबालब भरी हुई थी। कुछ देर तक यूं ही यु हीं अपनी बुर मे उंगली करते करते वह चरम सीमा की ओर बढ़ने लगी उसके मुँह से लगातार चुदास से भरी गरम सीस्कारी छूट रही थी।

आआहहहहहहह..........ऊऊमममममममममम..........
ओहहहहहहहहहहहह...मेरे राहुल.....आआआहहहहहहह..... डाल. ओर डालललल......आआहहहहहहहहह (वीनीत की भाभी अपनी ऊँगली को ही राहुल का लंड समझकर अपनी बुर मे पेले जा रही थी।।)
आहहहहहहह......मे गई......मे गई।..........आहहहहहहहहहहहहह.....राहुल......
(ईतना कहने के साथ ही वीनीत की भाभी की बुर से भलभला के नमकीन पानी का फुहारा फुट पड़ा। जैसे-जैस उसकीे बुर से पानी का फुवारा छूट रहा था वैसे वैसे उस की गदराई गांड के साथ साथ पूरा बदन हिचकोले खा रहा था। आज अपने हाथ से बदन की प्यास बुझाने में उसे बहुत आनंद मिला था। वह सोफेे पर लेटे-लेटे हांफ रही थी। उसके मन का तुफान शाँत हो चुका था।
लेकिन उसका बदन एक नए औजार के लिए तड़प रहा था वह अपनी साड़ी को कमर से नीचे सरकाते हुए अपने कमरे की तरफ चल दी उसे इस समय विनीत का इंतजार था। वह मन में सोच रही थी कि अब तक तो विनीत आ जाता था लेकिन आज कहां रह गया। यही सब सोचते हुए वहां अपने बिस्तर पर लेट गई।

वहीं दूसरी तरफ विनीत दिनभर इधर उधर घूम कर अपना समय व्यतीत कर रहा था। यूं तो उसे घर समय पर ही जाना था लेकिन आज कुछ दोस्त मिल गए थे जिस वजह से वह अपने घर जा नहीं सका। शाम हो गई थी वह जानता था कि उसकी भाभी नाराज होगी क्योंकि वह समय पर घर पर नहीं गया था ।
वीनीत को मालूम था कि उसकी भाभी बड़ी बेशब्री से उसका इंतजार कर रही होगी इसलिए वह सोच रहा था कि घर पर कुछ ले जाया जाए ताकी भाभी का गुस्सा कम हो जाए । इसलिए वह वही खड़ा यही सोच रहा था कि क्या लेकर जाऊं की भाभी सारा गुस्सा भुला कर उस से प्यार करने लगे। तभी अचानक उसे याद आया कि भाभी को सफेद गुलाब जामुन बेहद पसंद है।
इसलिए वह गुलाबजामुन खरीदने के लिए मिठाई की दुकान पर गया और जैसे ही वह मिठाई की दुकान के अंदर प्रवेश किया वैसे ही दुकान के अंदर उसे उस दिन वाली महिला मतलब की अलका मिठाई खरीदती नजर आ गई। अलका को देखते ही विनीत बहुत खुश हुआ खास करके उसकी जाँघों के बीच लटक रहे औजार में गुदगुदी होने लगी। विनीत की नजरें अलका के बदन को टटोलने लगी।

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राहुल की मम्मी को देखते ही विनीत बहुत खुश हुआ राहुल की मम्मी के मांसल और भरे हुए बदन के कटाव
और उभार को देखते ही वीनीत के जांघों के बीच हलचल सी मचने लगी। वह तुरंत मिठाई की दुकान के अंदर प्रवेश किया और सीधे राहुल की मम्मी मतलब कि अलका के पास पहुँच गया। अलका जलेबियां ले रही थी अलका को जलेबी लेते देख विनीत बोला।

हाय अांटी आप यहां क्या कर रही हो?

कुछ नहीं बेटा बस बच्चों के लिए जलेबी ले रही थी। तुम्हें यहां क्या चाहिए क्या तुम भी यहाँ मिठाई खरीदने आए हो।

हाँ मुझे भी सफेद रसगुल्ले खरीदने थे। ( तब तक दुकान वाले ने अलका की जलेबियों को पेक करके अलका को थमा दिया ... विनीत की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी वह अलका से नज़दीकियां बढ़ाना चाहता था। वह अलका से क्या बात करें क्या ना करें उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। तभी उसने झट से आव देखा ना ताव तुरंत अलका की कलाई थाम ली ... अलका ईस तरह से एक अन्जान लड़के द्वारा अपनी कलाई पकड़े जाने से उसका बदन एकबारगी झनझना सा गया। उसे कुछ समझ में नहीं आया और वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही विनीत जल्दी से उसे लगभग खींचते हुए पास में ही पड़ी कुर्सी पर बिठा दिया। और जल्दी से मिठाई की काउंटर पर गया।
अलका अभी भी सहमी हुई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार एक अनजान लड़का इस तरह से उसकी कलाई पकड़ के कुर्सी पर क्यों बैठा कर गया। अलका के मन मे मंथन सा चल रहा था। वह कुछ और सोच पाती इससे पहले ही वीनीत हाथ में दो कटोरिया लिए उसकी तरफ ही बढ़ा आ रहा था।
अलका विनीत को और उसके हाथ में उन दो कटोरियों को आश्चर्य से देखे जा रही थी। तब तक वीनीत ने दोनों कटोरियों को टेबल पर रख दिया और पास में ही पड़ी कुर्सी को खींचकर टेबल की दूसरी तरफ रख के बेठ गया। अलका आश्चर्य से कभी कटोरी में रस में डूबी हुई सफेद रसगुल्ले को तो कभी विनीत की तरफ देखे जा रही थी। वह विनीत से बोली।

यह क्या है बेटा?
( विनीत ने अपने दीमाग मे पुरा प्लान फीट कर लिया था। वह अलका से झूठ बोलते हुए बोला।)

आंटी जी आज मेरा जन्मदिन है और मैं चाहता था कि मैं अपना जन्मदिन किसी अच्छे और खूबसूरत इंसान के साथ मनाऊँ। लेकिन दिनभर घूमने के बाद मुझे ना तो कोई खूबसूरत इंसान और ना ही अच्छा इंसान मिला ।
और एेसे मै मुझे लग ही नहीं रहा था कि मैं अपना जन्मदिन मना पाऊंगा। लेकिन शायद भगवान भी नहीं चाहता था कि मैं अपने जन्मदिन पर इस तरह से उदास रहूं इसलिए उसने आपको भेज दिया। और मैं भी एक पल भी गवाँए बीेना आपको इस तरह से यहां बिठा दिया इसके लिए माफी चाहता हूं।
( अलका को सारी बातें समझ में आने लगी थी। वह विनीत के रवैये से और उसकी बात करने की छटा से मंत्रमुग्ध सीे हो गई थी। विनीत में सफेद रसगुल्ले की एक कटोरी को अलका की तरफ बढ़ाते हुए बोला)


लीजीए आंटी मुंह मीठा कीजिए...
( वैसे तो सफेद रसगुल्ले को देखकर अलका के मुंह में भी पानी आ गया लेकिन वह अपने आपको रसगुल्ले खाने से रोके रही। उसे इतना उतावला पन दिखाना ठीक नहीं लग रहा था। क्योंकि कुछ भी हो वह अभी भी इस लड़के को पूरी तरह से जानती नहीं थी बस एक दो ही मुलाकात तो हुई थी ईससे। अलका बड़ी असमंजस में थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस लड़के के द्वारा ऑफर किया हुआ यह सफेद रसगुल्ले की कटोरी को पकड़े या इंकार कर के यहां से चली जाए। लेकिन सफेद रसगुल्ले को खाने की लालच भी उसके मन में पनप चुकी थी। वह खुद की शादी में ही सफेद रसगुल्ले का स्वाद चख पाई थी उसके बाद उसने कभी भी सफेद रसगुल्ले को मुंह से नहीं लगाया। तभी विनीत द्वारा एक बार फिर से मुंह मीठा करने की बात को मानते हुए उसने कटोरी में से एक रसगुल्ले को उठा ली और अपनी गुलाबी होंठ को खोलकर दांतों के बीच रखकर आधे रसगुल्ले को काट ली। विनीत उसके गुलाबी होठों को देखता रह गया और मन ही मन उसके होंठ पर अपने होंठ को सटा कर उसका मधुर रस पीने की कल्पना करने लगा। )

आंटी जी आपने मेरी बात रख ली इसलिए मैं आपको धन्यवाद करता हूं। मेरे जन्मदिन को आपने सफल बना दिया।


अरे मैं तो भूल ही गई( और अपने हाथ को आगे बढ़ाकर वीनीत से हाथ मिलाते हुए उसे जन्मदिन की ढेर सारी बधाई दी।)
जन्मदिन मुबारक हो हैप्पी बर्थडे टू यू..... वैसे मैं बेटा तुम्हारा नाम नहीं जानताी हुँ।

विनीत........ वीनीत नाम है मेरा।

ओके.....हैप्पी बर्थडे टू यू वीनीत।

थैंक्यू आंटी। लेकिन आपने अपना नाम नहीं बताया अब तक

मेरा नाम अलका है।

वाह बड़ा ही प्यारा नाम है( विनीत की बात सुनते ही अलका मुस्कुरा दी। दोनों वहीं 20 मिनट तक बैठे रहे। दोनों में काफी बातें हुई एक हद तक अलका को विनीत बड़ा प्यारा लगने लगा था खास करके उसकी मन लुभाने वाली बातें । ज्यादातर वीनीत ने अलका की खूबसूरती की तारीफ ही की थी जोकि अलका को कुछ अजीब लेकिन बड़ी लुभावनी लग रहीे थी।
यह शाम की मुलाकात दोनों की जिंदगी में काफी हलचल मचाने वाली थी। अलका के जीवन में ये लड़का काफी हद तक उतार चढ़ाव और रिश्तो में तूफान लाने वाला था।
इस मुलाकात से ही दोनों काफी हद तक खुलना शुरू हो गए थे। विनीत को घर जाने में देर हो रही थी लेकिन फिर भी वह यहां से जाना नहीं चाहता था उसे अलका का साथ बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगा था। यही हाल अलका का भी हो रहा था विनीत के साथ उसे अच्छा लग रहा था लेकिन उसे घर भी जाना था क्योंकि घर पर उसके दोनों बच्चे इंतजार कर रहे थे। इसलिए वह बेमन से कुर्सी से उठते हुए बोली मुझे घर जाना होगा काफी समय हो गया है।

ठीक है आंटी जी मुझे भी अब जाना ही होगा। लेकिन मेरा इतना साथ देने के लिए थैंक यू( जवाब मे अलका मुस्कुराकर दुकान के बाहर जाने लगी तब वीनीत भी झट से मिठाईयेां के पेक कराकर दुकान से बाहर आ गया और अलका के साथ चलने लगा। अलका आगे आगे चल रही थी और वह पीछे पीछे। विनीत की नजर अलका की गदराई गांड पर ही टिकी हुई थी। अलका को मालूम था कि विनीत उसके पीछे-पीछे आ रहा है और इस तरह से विनीत का उसके पीछे-पीछे आना उसे अच्छा भी लग रहा था। अलका की मटकती हुई गांड वीनीत के कलेजे पे छुरियां चला रही थी। वह मन मैं ही सोच रहा था कि काश इसको चोदने का मौका मिल जाता तो लंड की किस्मत ही खुल जाती।
यही सब सोचते हुए विनित अलका के पीछे कुछ दूरी चला था कि उबड़ खाबड़ रस्ते पर अलका का बैलेंस डगमगाया और उसका पैर फिसल गया। वह गिरने से तो बच गई लेकिन उसके सैंडल की पट्टी टूट गई।
वीनीत जल्दी से आगे बढ़ा और अलका के लग पहुंच गया।

क्या हुआ आंटी आपको चोट तो नहीं लगी।


( अलका संभलते हुए) नहीं बेटा चोट तो नहीं लगी लेकिन मेरी सेंडल की पट्टी टूट गई..... अब मुझे बिना सैंडल के नंगे पांव ही घर जाना होगा।
(अलका को परेशान देखकर विनीत भी परेशान हो गया और वह बोला)
आंटी जी एेसे कैसे आप नंगे पांव घर जाएंगी लाइए अपनी सेंडल मुझे दीजिए मैं उसे ठीक करवा कर लाता हूं।

नहीं बेटा मैं चली जाऊंगी इतना परेशान मत हो।

नही आंटी जी आप कैसे अपने घर तक यूंही नंगे पैर जाएंगे आप जिद मत करिए मुझे दे दीजिए सेंडल मैं तुरंत बनवा कर ले आता हूं यही पास में ही है ।
( अलका को यूँ अपना सेंडल निकालकर विनीत को देना बड़ा अजीब सा लग रहा था। विनीत के लाख मनाने पर अलका उसे सैंडल देने के लिए तैयार हुई। अलका की भी मजबूरी थी क्योंकि उसे भी कहीं नंगे पांव आना जाना अच्छा नहीं लगता था।
अलका के पांव की सैंडल पाकर विनीत बहुत खुश हो रहा था वह अलका को वही रुकने के लिए कहकर सैंडल सिलवाने के लिए चला गया।
अलका वहीं पास में फुटपाथ पर रखी हुई कुर्सी पर बैठ गई और वीनीत का इंतजार करने लगी। थोड़ी ही देर बाद विनीत लगभग दौड़ते हुए उसके पास आ रहा था जैसे ही पास में पहुंचा अलका के उठने से पहले ही वह सैंडल लेकर अलका के कदमों में झुक गया और बोला।


लाईए आंटी जी में आज आपको अपने हाथों से सैंडल पहना देता हूं। ( अलका उसके मुंह से इतना सुनते ही एक दम से शर्मा गई और उसे हाथों से रोकने लगी लेकिन वह वीनीत को रोक पाती इससे पहले ही विनीत ने अलका के पांव को अपने हाथ में ले लिया और अपने हाथ से अलका की साड़ी को पकड़ कर थोड़ा ऊपर की तरफ उठाया करीब दो तीन इंच ही ऊपर साड़ी को उठाया था लेकिन विनीत की इस हरकत पर अलका एकदम से शहम गई। उसने मन ही मन ऐसा महसूस कर लिया कि कोई उसकी साड़ी को उठाकर नंगी कर रहा है। अलका कुछ बोल पाती इससे पहले ही विनीत ने सैंडल को उसके पांव में डालकर सेंडल की पट्टी को लगा दिया।
सैंडल पहनाने में विनीत को केवल सात आठ सेकेंड ही लगे थे लेकिन इतने मिनट में अलका की मखमली दूधिया पैरों के स्पर्श को अपने अंदर महसूस कर लिया।
विनीत ने अपनी उंगलियों को अलका की चिकने पैर सहलाया था जिससे विनीत का लंड टनटना के खड़ा हो गया था।
अलका अंदर ही अंदर कसमसा रही थी उसको बड़ी शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह बार बार अपने अगल बगल नजर घुमा कर देख ले रही थी कि कोई देख तो नही रहा है। लेकिन सब अपने अपने काम में मस्त थे किसी को फुर्सत कहां थी कि उन लोगों को देख सके।
सैंडल पहरा कल विनीत खड़े होते हुए बोला।

लो आंटी अब आप अपने घर नंगे पांव नहीं जाएंगी।
( अलका उसकी बात पर मुस्कुरा दी और उसे थैंक्स कह के अपने घर की तरफ चल दी। विनीत वही खड़े-खड़े अलका को गांड मटकाते हुए जाते देखता रहा
वह कभी अलका को तो कभी अपनी ऊंगलियों को आपस में मसलते हुए उसके नरम नरम मखमली पैरों के बारे में सोचने लगा और तब तक वहीं खड़े रहा जब तक कि अलका उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई।
इसके बाद वह भी अपने घर की तरफ चल दीया।)


अलका को आज घर पहुंचने में काफी लेट हो गया था।
राहुल और सोनू दोनों अलका का इंतजार कर रहे थे।
अपनी मम्मी को आता देख राहुल बोला।

क्या हुआ मम्मी आज इतना लेट क्यों हो गयी?

क्या करूं बेटा आज रास्ते में मेरी सेंडल की पट्टी टूट गई थी और उसी को ठीक कराने में देरी हो गई।

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और हां यह लो जलेबी( जलेबी का पैकेट राहुल को पकड़ाते हुए) तुम दोनों के लिए रास्ते में से ली थी।
( इतना कहकर अलका झटपट खाना बनाने के लिए गइ। कुछ देर बाद खाना बनाकर और खा पीकर सब लोग अपने अपने कमरे में चले गए।
राहुल के लिए तो हर रोज अपनी उत्तेजना बढ़ाने के लिए टोपीक तैयार ही रहता था। वैसे भी विनीत की भाभी ने उसे कुछ ज्यादा ही अपने गठीले बदन का दर्शन करा दी थी। इसलिए तो वह रोज ही हस्तमैथुन की कला में पारंगत हु आ जा रहा था।
और वहीं दूसरी तरफ अलका सोच में पड़ गई थी।
अपने आप से ही बोल रही थी। कैसा लड़का है कितना जिद करता है। उसका चेहरा उसकी बोलने की अदा उसका गठीला बदन सब कुछ अलका को लुभा गया था
खास करके उसका जिद करना। वह उस पल को याद कर रही थी जब उसने बिना कुछ बोले ही उसकी कलाई पकड़ कर कुर्सी पर बिठा दिया और कैसे जल्दी-जल्दी सफेद रसगुल्ले की कटोरिया उसके सामने रख दिया।
अलका यह सब सोचकर आईने में अपने रुप को देखते हुए अपनी साड़ी खोल रही थी। कभी अपने खूबसूरत गठीले बदन को को तो कभी इस उम्र में भी गुलाब सा खिला हुआ खूबसूरत चेहरे को देखते हुए शाम की बात को याद किए जा रही थी। और तब तक उसने अपने बदन से साड़ी को उतार कर पलंग पर फेंक दी।
ब्लाउज के बटन को खोलते समय उसे उस लड़के की
उस हरकत पर ध्यान गया जब उसने सैंडल के लिए उसकी साड़ी को हल्के से उठाया था।।
उफफफफफ सोच कर ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ जा रही थी। कैसा है वह लड़का बिल्कुल भी नहीं डरा की उसकी इस हरकत पर मैं कुछ बोल दूंगी। उसका जबरदस्ती मेरे पास से सेंडल निकाल कर ले जाना और उसे ठीक करवाकर बड़ी रोमांटिक अदा से मेरे पैरों में पहनाना बिल्कुल राहुल के पापा की तरह।
राहुल के पापा का ख्याल आते हैं अलका अचंभित हो गई की आाज बरसों के बाद कैसे राहुल के पापा याद आ गए। ( अलका तब-तक ब्लाउज को भी उतार चुकी थी और उसकी नाजुक उंगलियां पेटिकोट की डोरी से उलझ रही थी। वह मन में ही सोच रही थी कि) हां बिल्कुल ऐसे ही तो थे राहुल के पापा ऐसे ही वो भी बोलते थे एकदम फिल्मी डायलॉग और जिद भी ऐसे ही करते थे। ( तब तक पेटीकोट की दूरी को भी खोल कर पेटीकोट को नीचे सरका दी। उसके बदन पर सिर्फ ब्रा और पेंटी ही रह गई थी जो की ट्यूब लाइट के उजाले में चमक रही थी। आईने में अपने बदन को देख कर वो खुद ही शर्मा जा रही थी। बड़ी-बड़ी उन्नत चूचियां आज भी अपनी गोलाइयां लिए हुए तन कर खड़ी थी।। अपनी चुचियों को देखकर जोकी ब्रा मे ठीक से समा भी नहीं पा रही थी उन गोलाईयो पर अनायास ही अपनी दोनों हथेलियां रखकर हथेली से गोलाईयों को दबाई । और जैसे ही चुचियों पर हथेली का दबाव बढा़ई अलका के मुंह से हल्की सी शिसकारी फूट पड़ी। अलका ने ईससे पहले ऐसा कभी भी नहीं की थी। लेकिन आज उस लड़के की हरकत खास करके उस लड़के के द्बारा साड़ी उठाना इस बात को याद कर करके थोड़ी उत्तेजित हो गई थी। उसे खुद ही अजीब सा लगा कि यह कैसे हो गया तभी उसकी जाँघो के बीच उसे कुछ रिश्ता हुआ महसूस हुआ। अलका ने आश्चर्य के साथ अपनी पैंटी में अपनी हथेली को डाली और उंगलियों से टटोलते हुए
अपनी बुर जोकी उत्तेजना के कारण रोटी की तरह फुल चुकी थी उसकी दरार पर अपनी उंगली लगा कर स्पर्श की तो उसमें से लिसलिसा रस टपक रहा था अलका को समझते देर नहीं लगी कि वह क्या है। उसे अपने ऊपर गुस्सा आने लगा क्योंकि उसकी बुर से रीस रहा मधुर जला जो की उत्तेजना के कारण ही निकल रहा था।
आज ना जाने कितने सालों बाद उसकी बुर से यह नमकीन पानी रिस रहा था इससे पहले उसकी बूर सुखी ही पड़ी थी।
छी...... यह मुझे क्या हो गया है एक लड़के के बारे में सोच कर मुझे यह सब छी.....छी......

और झट से अलमारी में से गाऊन निकालि और उसे पहन कर अपने बिस्तर पर चलीे गई। और लाइट बंद करके सो गई।

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दूसरे दिन राहुल स्कूल गया लेकिन क्लास में विनीत को ना देखकर वह समझ गया कि आज भी वीनीत स्कूल नहीं आया है और अब उसे नोट बुक लेने वीनीत के घर जाना ही होगा। विनीत के घर जाने के बारे में सोच कर ही राहुल की धड़कने बढ़ने लगी थी। क्योंकि जब भी वह वीनीत के घर के बारे में सोचता तब उसे विनीत की भाभी का गदराया हुआ बदन उसकी आंखों के सामने तेर जाता था। मुझसे अब छुट्टी की घंटी बजने का इंतजार था और उसका इंतजार समय पर खत्म भी हो गया।
राहुल सीधे वीनीत के घर पहुंच गया और दरवाजे पर दस्तक दिया दस्तक देने के कुछ देर तक कमरे के अंदर से कोई भी हलचल नहीं हुई तो राहुल ने फिर से दरवाजे को खटखटाया इस बार दरवाजा खुला और राहुल की धड़कनै फिर से तेज होने लगी। दरवाजा राहुल के सोचने के मुताबिक विनीत की भाभी ने खोला था।
वीनीत की भाभी ने मुस्कुराकर राहुल का स्वागत किया और उसे अंदर आने को कहा और राहुल भी मंत्रमुग्ध सा वीनीत की भाभी को निहारते हुए कमरे में प्रवेश किया। कमरे में प्रवेश करते ही वीनीत की भाभी ने दरवाजे को बंद कर दी दरवाजे के बंद होते ही राहुल की धड़कने तेज होने लगी। विनीत की भाभी के बदन से आ रही महंगीे और मादक परफ्यूम की खुशबू राहुल के उत्तेजना को बढ़ा रही थी जिसका असर राहुल के पेंट में साफ दिखाई दे रहा था। विनीत की भाभी ने ट्रांसपेरेंट साड़ी और स्लीव लेश ब्लाउज पहन रखी थी और ब्लाउज भी एकदम लो कट जिसमें से चुचियों के बीच की गहरी और लंबी लाइन साफ साफ दिखाई दे रही थी। जिस पर नजर पड़ते ही मारे उत्तेजना के राहुल का गला ही सूखने लगा।
अपने पहनावे का असर राहुल पर पूरी तरह से हो रहा है इसका अंदाजा विनीत की भाभी को हो गया था। वह मन ही मन बहुत खुश हो रही थी। और मंद मंद मुस्कुराते हुए बोली।

बैठो राहुल......

( वीनीत की भाभी के मुंह से इतना सुनते ही राहुल को कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या बोले और वह हड़बड़ाते हुए बोला।)

ववववो .....भाभी ...... वीनीत आज भी स्कूल नहीं आया।


अरे हां......... पहले बैठो तो फिर बतातीे हूं।

( विनीत की भाभी के कहने के साथ ही राहुल सोफे पर बैठ गया।)

हां मैं जानती हूं कि विनीत आज भी स्कूल नहीं गया है।
लेकिन आज भी वह घर पर नहीं है किसी काम से बाहर गया है।
( इतना सुनते ही राहुल के हावभाव बदल गए।
राहुल के बदलते हावभाव को देख कर वीनीत की भाभी तुरंत बोली।)

तुम टेंशन मत लो मैंने तुम्हारी नोटबुक वीनीत से मांग कर रख ली है। ( वीनीत की भाभी का जवाब सुनकर राहुल के चेहरे पर सुकून के भाव नजर आने लगे।)

लेकिन भाभी विनीत आएगा कब बहुत दिन हो गए उससे मुलाकात हुए।

कुछ कह के तो नहीं गया है हां लेकिन तीन-चार घंटे लग सकते हैं। ( विनीत की भाभी यह अच्छी तरह से जानती थी कि विनीत अपने मन से नहीं बल्कि उसने खुद ही विनीत को तीन चार घंटे के लिए बाहर जानबूझकर भेज दी थी। उसने जो कल अपने हुस्न का राहुल को जलवा दीखाई उससे उसे पूरा यकीन था कि राहुल घर पर जरुर आएगा और अपनी नोट बुक लेने नहीं बल्कि उसके बदन को देख कर अपनी आंखे सेकने बाकी नोटबुक तो एक बहाना ही है। राहुल कुछ सोच कर बोला)

फिर तो आज भी वीनीत से मुलाकात नहीं हो पाएगी।


हां वो तो है। चलो कोई बात नहीं फिर कभी मुलाकात कर लेना।
( राहुल की नजर बार बार वीनीत की भाभी के वछस्थल पर चली जा रही थी। जोकि ट्रांसपेरेंट साड़ी होने की वजह से उसका उठान साफ साफ दिखाई दे रहा था। साड़ी में से उसके वक्ष स्थल के साथ-साथ उसका चिकना पेट और उसकी गहरी नाभि साफ-साफ झलक रही थी। जिसे देख कर वह उत्तेजित हुआ जा रहा था।
विनीत की भाभी उसी जगह पर खड़ी थी जहां पर कल खड़ी थी। उसका गोरा बदन पारदर्शक साडी की वजह से और भी ज्यादा निखर गया था। विनीत की भाभी बातों के दरमियान अपनी कमर को इस तरह से कामुक अदा से झटकती थी की राहुल की साँसे से ऊपर नीचे हो जाती थी।
विनीत की भाभी को आगे क्या करना है यह उसने पहले से ही सोच रखी थी। इसलिए वह बोली।


अच्छा तुम यहीं बैठो मैं तुम्हारी नोटबुक लेकर आती हूं (इतना कहते ही मुस्कान बिखेरते हुए सीढ़ियों पर चढ़ने लगी। राहुल उत्तेजित होता हुआ विनीत की भाभी को सीढ़ियां चढ़ते हुए बड़ी ही प्यासी नजरों से देखने लगा
विनीत की भाभी जब एक एक कदम सिढ़ीयों के चढ़ाव पर रखती तो उसकी भारी भरकम बड़ी बड़ी सुडोल गांड का उठाव और ज्यादा उभर जाता और उसकी भरावदार गांड को देखकर राहुल का लंड हीचकोले खाने लगता। राहुल उसी सीढ़ियों पर जाता हुआ ललचाई आंखों से देखता रहा और वीनीत की भाभी भी सरपट अपनी गांड को मटकाते हुए सीढ़ियों पर चढ़ी जा रही थी कि अचानक उसका पैर फिसला और वह सीढ़ियों पर ही गिर पड़ी। जैसे ही विनीत की भाभी सीढ़ियों पर गिरी वीनीत घबराकर खड़ा हो गया ।
विनीत की भाभी गिरने की वजह से दर्द से कराहने लगी


ऊईईईई......... मां............. मर गई रे....... हाय मेरी कमर.........ओहहहहहहह........माँ................( अपनी कमर को पकड़ते हुए) मर गई रे....... बहुत दर्द हो रहा है.....

( दर्द से कराहता देखकर राहुल झट से उसके पास पहुंच गया। लेकिन हड़बड़ाहट में उसे क्या करना है क्या नहीं करना है यह सुझ ही नहीं रहा था। वह बस सीढ़ियों पर गिरि विनीत की भाभी को आँख फाड़े देखता ही रहा। सीढ़ियों पर गिरने से वीनीत की भाभी का आंचल कंधे से नीचे गिर गया जिससे उसकी बड़ी बड़ी छातियां दिखने लगी और राहुल का ध्यान बार बार उसकी विशालकाय छातियों पर चली जा रही थी। विनीत की भाभी उसकी नजर को भाँप गई थी इसलिए बोली।)

अरे यूं ही घूरता रहेगा या मेरी मदद भी करेगा। मुझे उठा तो सही मुझसे तो ठीक से हिला भी नहीं जा रहा है।

हां हां भाभी मैं मैं उठाता हुँ। ( हकलाते हुए बोला)

मुझे सहारा देकर खड़ी कर लगता है जैसे कि मेरे पैरों में मोच आ गई हो( विनीत की भाभी दर्द से कराहते हुए बोली। राहुल भी उसकी मदद करते हुए विनीत की भाभी कि बाँह को पकड़ कर उठाने की कोशिश करने लगा। लेकिन वीनीत की भाभी का वजन ज्यादा होने से उससे उठाया नहीं गया तो वह बोली।)

आहहहहहहह(कराहते हुए) अरे ठीक से उठाना थोड़ा दम लगा कर।

विनीत की भाभी की बात सुनकर राहुल ने ईस बार उसकी गुदाज बाहों को अपनी हथेली से कस के पकड़ा
उसकी गोरी गोरी मांसल गुदाज बाहों को हथेली में भरते ही राहुल के बदन में झनझनाहट सी फेल गई। उसका गला सूखने लगा । उत्तेजना के कारण राहुल का चेहरा सुर्ख लाल हो गया था। उसने जिस तरह से अपनी हथेली में नंगी बाँह को दबोचा था उससे वीनीत की भाभी कसमसा सी गई थी। आगे से लॉ कट ब्लाउज में से उसकी आधी से ज्यादा चुचीयाँ बाहर झाँक रही थी
लेकिन उसनें जरा सी भी उसे ढंकने की दरकार नही ली। इसलिए तो राहुल भी विनीत की भाभी को उठाते समय भी अपनी नजर को बराबर उसके उभारों पर गड़ाया हुआ था। सीढ़ियों पर गिरने की वजह से उसकी साँसे बहुत भारी चल रही थी जिससे उसकीे दोनों छातीयाँ ऊपर नीचे हो रही थी और ऊपर नीचे होती हुई चुचियों को देखकर राहुल का लंड पेंट मे हीं ठुनकी लगा रहा था। जैसे तैसे करके राहुल ने वीनीत की भाभी को सीढ़ियों से उठाया ... राहुल उसको सहारा देकर एक कदम बढ़ा ही था कि वीनीत की भाभी फिर से लड़खड़ा गई ....राहुल ने तुरंत उस को संभालने के लिए अपना एक हाथ उसकी कमर में डाल दिया।
राहुल ने उसे सभाल तो लिया लेकिन उसको संभालने मे राहुल की हथेली विनीत की भाभी के चिकनी कमर पर टिक गई और उसकी कमर का एहसास राहुल को होते ही उसके तन बदन में झुनझुनी से फेल गई।
राहुल के कोमल हथेलि का स्पर्श अपनी कमर पर महसूस करके विनीत की भाभी सीहर गई।
विनीत की भाभी आगे कदम बढ़ाते हुए और भी ज्यादा राहुल स सटते हुए बोली।


आहहहहहहहहह.............राहुल ..........मेरी कमर
बहुत दर्द कर रही है..... ओहहहहह.....मां.......

( राहुल उसकी कराहने की आवाज सुनकर थोड़ा चिंतित हो गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें वो बस उसको सहारा देकर उसे उसके कमरे की तरफ ले जा रहा था। वीनीत की भाभी से बिल्कुल चला भी नहीं जा रहा था और उसे सहारा देने के चक्कर में राहुल का हाथ उसे संभालते हुए उसकी बड़ी बड़ी चूची पर पड़ गई। चूची पर उसकी हथेली पड़ते ही उसकी नर्माहट और गुजगुजाहट से राहुल के बदन में सनसनी फैल गई। उसको समझते देर नहीं लगी कि उसकी हथेली किस अंग पर पड़ी है उसकी जांघों के बीच का मुसल डोलने लगा था। राहुल ने झट से उसकी चूची पर से हाँथ हटा लिया लेकिन विनती की भाभी के बदन में राहुल की इस गलती के कारण मस्ती की लहर दौड़ गई। विनीत की भाभी को तो यह सब ट्रेलर लग रहा था अभी तो पूरी पिक्चर बाकी थी। वह मन ही मन सोचने लगी की जब ट्रेलर इतना रंगीन है तो पूरी फिल्म कैसी होगी।
और दूसरी तरफ राहुल अपनी इस हरकत की वजह से शर्मिंदा हो रहा था विनीत की भाभी से आंख मिलाने में भी उसे शर्म आ रही थी वो मन ही मन सोच रहा था कि ववनीत की भाभी उसके बारे में क्या सोचेगी। लेकिन जहां उसे एक तरफ शर्मिंदगी उठानी पड़ रही थी और वहीं दूसरी तरफ उसके मन के कोने में गुदगुदी भी हो रही थी। उसे यह सब अच्छा लग रहा था वीनीत की भाभी को संभाल के ले जाने में उसकी जाँघे राहुल की जांघो से रगड़ खा रही थी जिससे उसके बदन में उन्माद और आनंद दोनों का प्रसार हो रहा था।
लड़खड़ाकर चलते हुए विनीत की भाभी ने कब अपनी नंगी बाहों को राहुल के कंधे पर रख दी इसका एहसास तक राहुल को नहीं हुआ। थोड़ी ही देर में दोनों दरवाजे के सामने खड़े थे। विनीत की भाभी ने लड़खड़ाते हुए एक कदम आगे बढाई और दरवाजे को खोल दी।
दरवाजे को खोलकर जैसे ही वह अंदर कदम बढ़ाई वैसे ही फिर से लड़खड़ा कर गिरने ही वाली थी कि राहुल ने तुरंत पीछे से थाम लिया। लेकिन इस बार वीनीत की भाभी को थामने मे कुछ ऐसा हुआ जिसका अंदाजा दोनों को बिल्कुल भी नहीं था। विनीत की भाभी को गिरते हुए पीछेे से थामने में राहुल के दोनों हाथ विनीत

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विनीत की भाभी को गिरते हुए पीछे से थामने में राहुल के दोनों हाथ विनीत की भाभी की बड़ी बड़ी चुचियों पर पड़ गई और वीनीत की भाभी को संभालने में दोनों हथेलियाँ चूचीयो पर जम सी गई थी। राहुल के पेन्ट में
पहले से ही तंबु बना हुआ था ओर पीछे से पकड़ के संभालने मे राहुल का बदन वीनीत की भाभी के पिछवाड़े से बिल्कुल सट गया ओर विनीत के पेंट में बना तंबू सीधे वीनीत की भाभी की बड़ी बड़ी सुडौ़ल गांड मे चुभ गया। जैसे ही राहुल का तंबू वीनीत की भाभी की नरम नरम और सुडौ़ल गांड में साड़ी के ऊपर से धंसा वैसे ही मानो राहुल के बदन में बिजली कौंध गई हो । राहुल एकदम सन्न हो गया उसे कुछ पल तो समझ में नहीं आया कि यह क्या हो गया वह बस पीछे से विनीत की भाभी की चूचियां ब्लाउज के ऊपर से ही दोनों हाथों से दबाए हुए और पीछे से अपने टनटनाए हुए तंबू को उसकी नरम नरम और सुडौ़ल गाँड मे धंसाए हुए खड़ा रहा। यह पल उसे उसके जीवन का सबसे उत्तम और आनंद दायक पल लग रहा था। इतना आनंद उसने शायद अब तक नहीं प्राप्त किया था। इसलिए वह इस पल को जी लेना चाहता था वह जानता था की ये बिल्कुल गलत है उसे हट जाना चाहिए था लेकिन चुचियों की नर्माहट और गांड की गर्माहट उसे चिपके रहने के लिए विवश कर रही थी।
राहुल की ऐसी हरकत कर विनीत की भाभी भी दंग रह गई थी उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि राहुल ऐसी हरकत करेगा हालांकि यह सच था कि यह कामुक हरकत राहुल से अनजाने में ही हुई थी लेकिन इस हरकत ने वीनीत की भाभी मे आत्मविश्वास भर दिया था। उसे यकीन हो चला था कि राहुल को लेकर जो उसने प्लान रचा है वह उस प्लान में जरुर सफल होगी।
राहुल के टनटनाए हुए लंड की चुभन वह अपनी गांड पर साफ-साफ महसूस कर रही थी। उसकी अनुभवी गांड ने राहुल के लंड के कड़कपन और उसकी ताकत को तुरंत भाँप ली और राहुल के मजबुत लंड पर अपनी स्वीकर्ती की मोहर लगाते हुए उसकी बुर ने नमकीन पानी की एक बुँद टपका दी।
इस तरह से खड़े रहने में दोनों को परम आनंद की अनुभूति हो रही थी लेकिन इस तरह से कब तक खड़े रह सकते थे विनीत की भाभी ने ही राहुल के बदन से दूर हटते हुए बोली।।

ओह राहुल अगर आज तुम नहीं होते तो पता नहीं क्या होता मुझसे तो ठीक से चला भी नहीं जा रहा है। अच्छा हुआ राहुल तुम यहां मौजूद हो वरना आज तो न जाने क्या होता। ( राहुल फिर से अपनी हरकत की वजह से शर्मिंदा हो गया था उसकी पेंट मे अभी भी तंबू बना हुआ था जोकि विनीत की भाभी की नजरों से छुपा नहीं था। लेकिन जानबूझकर वीनीत की भाभी ऐसा व्यवहार कर रही थी कि जैसे कुछ हुआ ही ना हो और खुद ही दरवाजा बंद करके वापस मुड़ी आगे बढ़ने के लिए उसने राहुल को हाथ का इशारा करके अपने नजदीक बुलाई।)
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वीनीत की भाभी ने फिर से राहुल का सहारा लेकर बिस्तर तक गई और कराहते हुए धीरे से बिस्तर पर बैठ गई। वह अभी भी दर्द से कराह ही रहीं थी राहुल से उसका दर्द देखा नहीं जा रहा था लेकिन कर भी क्या सकता था। वह अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोली


राहुल बहुत दर्द कर रही है मेरी कमर पता नहीं क्या हो गया है ऐसा पहले कभी भी नहीं हुआ। ( राहुल भी समझ सकता था कमर के दर्द को क्योंकि इससे पहले भी दर्द से कराहते हुए उसने अपनी मम्मी को देख चुका है और ऐसे हाल में वह खुद अपनी मम्मी के कमर पर मुव से मालिश करके राहत पहुंचाता था। इसलिए वह बोला।)

भाभी सब ठीक हो जाएगा आप बस मुव से मालिश कर लीजिए तुरंत आराम मिल जाएगा मेरी मम्मी को भी ऐसा दर्द होता था और मै हीं मालिश कर देता था जिससे उन्हे झट से आराम मिल जाता था।
( राहुल की बात सुनकर वह राहुल को एकटक देखने लगा और कुछ देर बाद बोली।)

मेरी मालिश कौन करेगा विनीत भी तो नहीं है यहां पर नही तो वो मेरी मालिश कर देता खैेर जाने दो .... और हां वहां टेबल पर तुम्हारी नोटबुक रखी हुई है जाकर ले लो ..... हाय मेरी कमर( इतना कहने के साथ वह फिर से अपनी कमर पर हाथ रख ली। राहुल उसके बताए अनुसार टेबल की तरफ बढ़ा विनीत की भाभी राहुल को अपनी कमर मलते हुए देख रही थी। राहुल टेबल तक पहुंचा तो वहां कुछ किताबें रखी हुई थी उनमें उसकी किताब नहीं थी। वह इधर उधर किताबों को खंगालने लगा । विनीत की भाभी उसे देखे जा रही थी उसके लंड की चुभन अभी तक वह अपनी गांड पर महसूस कर पा रही थी। जिसके बारे में सोच सोच कर उसकी बुर पनिया जा रही थी। राहुल को किताबें उलट पलट कर देखते हुए वह बोली।)

अरे राहुल वहीं होगी देखो वहीं पर तो रखी थी कहां चली जाएगी। अच्छा वहां बेग के पीछे देखो तो.....

( राहुल टेबल पर ही पड़ी बैग के पीछे देखा तो उसे अपनी नोटबुक वही पर ही मिली उस ने हाथ आगे बढ़ा कर नोटबुक को उठाया नोटबुक पर कोई कपड़ा भी पड़ा हुआ था जो की उसके हाथ में आ गया। राहुल उस कपड़े को अपने हाथ में लेकर ऊलट पलट कर देखने लगा । विनीत की भाभी राहुल को ही बड़े गौर से देखे जा रहीे थी। मरून रंग का वह कपड़ा मखमली था जिस पर उंगलियां फिराने में राहुल को बड़ा मजा आ रहा था।
जैसे ही उसने उस मखमली कपड़े को पूरा खोला उसे समझते देर नहीं लगी कि यह कपड़ा क्या है और वैसे ही तुरंत विनीत की भाभी बोली।

अरे राहुल( इतना सुनते ही घबराहट में राहुल के हाथ से वह मखमली कपड़ा छूट कर नीचे गिर पड़ा। )
ला तो वह मेरी पेंटी है आज जल्दबाजी में मैं उसे पहनना ही भूल गई।
( राहुल तो एकदम से सन्न हो गया जिस कपड़े को उसने भूल से अपने हाथों में ले लिया था उसके बारे में जान कर उसके लंड में सरसराहट होने लगी। और तो और विनीत की भाभी के मुंह से एकदम खुले शब्दों में पैंटी पहनने की बात को सुनकर उस का मन एकदम चुदवासा हो गया। आज पहली बार ही उसने किसी औरत की पेंटी को हाथों में लिया था। औरतों के पहनने की चड्डी इतनी नरम और मुलायम होती है आज पहली बार उसे पता चला था। पेंटी का मुलायम एहसास अभी तक उसकी उंगलियों पर महसूस हो रहा था। राहुल के पेंट में फिरसे तंबू बन गया जिस पर वीनीत की भाभी की नजर गड़ी हुई थी। उसके पेंट में बने तंबू को देख कर एक बार फिर वीनीत की भाभी की बुर से पानी रीसने लगा। तंबू के कठोर चुभन का एहसास उसके तन बदन को मदमस्त कर गया। विनीत एकदम सन्न मारकर वहीं खड़ा रहा। कुछ देर खामोश रहने के बाद वीनीत की भाभी फिर से बोली।)

अरे राहुल एसे ह़ी खड़े रहोगे क्या लाओ मेरी पैंटी उठा कर दो मुझे आज सुबह से पहनी नहीं हूं तभी कुछ खाली खाली सा लग रहा है।
( वीनीत की भाभी की यह बातें राहुल के तन बदन में आग सी लगा रही थी। औरत के मुंह से इतनी खुली बातें उसने आज तक नहीं सुनी थी इसलिए उस की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी पेन्ट के अंदर का तंबु पेंट में गदर मचाए हुए था। उसका लंड फूल टाइट हो गया था।
राहुल के मन में डर लगने लगा था कि कहीं लंड पेंट फाड़ कर बाहर ना जाए। राहुल दिलीप की भाभी की तरफ देखा तो वो आंखों से इशारा करके पेंटी उठाने को कह रही थी। इस बार राहुल नीचे झुका और पेंटी को उठाकर अपने हाथों में ले लिया यह सोच कर ही कि उसके हाथ में एक खूबसूरत औरत की पेंटी है जिससे वह अपना बेशकीमती खजाना छुपाती है उसके मन में काम ज्वाला और ज्यादा भड़क उठी।
राहुल के हाँथो मे विनीत की भाभी की पैंटी थी जिसे लेकर वह उसकी तरफ बढ़ रहा था साथ ही पेंट में बने तंबू को अपनी नोटबुक की आड़ में छुपाए हुए था।
राहुल की बालिश हरकत पर विनीत की भाभी मंद मंद मुस्कुरा रही थी। राहुल एकदम शर्मसार हुआ जा रहा था और विनीत की भाभी को मजा आ रहा था।
विनीत की भाभी बिस्तर पर ही बैठी हुई थी राहुल उसके पास पहुंच गया और कांपते हाथों से उसको पैंटी थमाने लगा पेंटी को थामते वक्त विनीत की भाभी की नरम नरम उंगलियां राहुल की उंगलियों से स्पर्श हो गई। नरम नरम ऊँगलियों का स्पर्श होते ही राहुल का बदन गनगना गया। वीनीत की भाभी ने राहुल के हाथों से अपनी पैंटी ले ली और बिस्तर पर से नीचे खड़ी हो गई राहुल समझ नहीं पा रहा था कि अब ये क्या करने वाली है। राहुल के पेंट में पहले से ही तंबू बना हुआ था जिसकी वजह से वह परेशान था और उसे अपनी नोटबुक से ढक रखा था। राहुल धड़कते दिल से विनीत की भाभी की तरफ देखे जा रहा था। दिनेश की भाभी उस मखमली पैंटी को इधर-उधर कर के देख रही थी तभी वह राहुल से बोली।

( बड़े ही शरारती और मादक अंदाज में) राहुल देखो मैं पैंटी पहनने जा रही हूं तो मेरी तरफ बिल्कुल भी मत देखना है। ( इतना कहने के साथ ही वह दूसरी तरफ घूम गई उसके ना देखने वाले सुझाव मे जी भर के देखने का आमंत्रण मिला हुआ था। और वह अच्छी तरह जानती थी की राहुल उसको पेंटी पहनते हुए जरुर देखेगा इसलिए वह अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा ली थी। और भला दुनिया में ऐसा कौन सा मर्द होगा जो मौका मिलने पर भी औरतों को पेंटी बदलते हुए देखना नहीं चाहेगा बल्कि मर्द लोग तो हमेशा इसी ताक में रहते हैं कि कहीं कुछ देखने को मिल जाए। विनीत की भाभी दूसरी तरफ घूम चुकी थी लेकिन राहुल ने अपनी नजर विनीत की भाभी पर से नहीं हटाया था। राहुल के मन में तो गुदगुदी सी मची हुई थी। राहुल तो खुद अपनी आंख सेंकना चाहता था भला वह क्यों अपनी नजर फेर कर इस अतुल्य दृश्य का लुफ्त उठाने से वंचित रहना चाहता था। विनीत की भाभी के द्वारा उसी के सामने पैंटी पहनने वालीे बात पर राहुल की उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच गई थी। मुठ मारने से मिलने वाला परम आनंद का अहसास उसे इस समय हो रहा था पेंट मे बने तंबु का उभार बढ़ता ही जा रहा था। राहुल की पैनी नजर वीनीत की भाभी पर टिकी हुई थी। विनीत की भाभी की बड़ी-बड़ी गदराई हुई गाँड साड़ी में और ज्यादा कसी हुई लग रही थी। गांड का असाधारण घेराव और उभार किसी के भी मन को उत्तेजना से भर देने के लिए काफी था।
वीनीत की भाभी ने उस मखमली पेंटी को अपनी उंगलियों में फंसा कर नीचे झुकी और हल्के से एक टांग को थोड़ा सा उठा ली जिससे उसकी गदराई गांड और ज्यादा मादक लगने लगी। एक टांग को उठाकर उसने पैंटी में डाली और फिर दूसरी टांग को भी पैंटी में डाल दी। यह नजारा देखकर राहुल के लंड का बुरा हाल हो रहा था। अब विनीत की भाभी ने पेंटी को दोनों हाथों की उंगलियों में फंसाए हुए ही उपर की तरफ सरकाने लगी
पेंटी के साथ-साथ साड़ी भी फंसकर ऊपर की तरफ सरक रही थी। जिससे उसकी चिकनी टांगे नंगी होती चली जा रही थी। राहुल के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी जैसे की कोई जंगली घोड़ा ठप ठप की आवाज करते हुए भागा चला जा रहा हो। राहुल के माथे से पसीने की बूंदे टपकने लगी। धीरे-धीरे करके विनीत की भाभी ने पेंटी को घुटनों के ऊपर तक सरका दी साथ ही साड़ी भी घुटनों के ऊपर तक हो गई आधी जाँघें दिखने लगी थी। विनीत की भाभी की मांसल जाँघें एकदम चिकनी दूधिया रंग कि मानो कि भाभी की जाँघे मक्खन से बनी हो। जिसे देखते ही किसी का भी लंड पानी छोड़ दे। राहुल की दिल की धड़कने बढ़ती ही जा रही थी।
बस कुछ ही इंच और रह गई थी वीनीत की भाभी की पूर्ण रुप से गांड के शुभ दर्शन के लिए लेकिन राहुल के मन में शंका थी कि जो अब तक इतना कुछ दिखाते आ रही हैं क्या वह अपनी गदराई गांड का भी दर्शन कराएंगी या नहीं। राहुल की नजर बराबर विनीत की भाभी पर ही गड़ी हुई थी। वह अपनी नजरें हटाकर इस अतुल्य दृश्य का एक एक भी पल अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देना चाहता था। वीनीत की भाभी की हर एक अदा राहुल के दिल पर शोले बरसा रही थी।
जेसे ही वीनीत की भाभी ने आधी जाँघो के ऊपर पेंटी को सरकाना शुरू कि राहुल के लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया। वाह.....वाह.......वाह...... गजब का दृश्य।। कुछ ही पल में वीनीत की भाभी ने पूरी साड़ी को कमर तक उठा दी थी। कुछ ही पल के लिए विनीत की भाभी ने अपनी संपूर्ण ऊभरी हुई गदराई गांड का दर्शन करवा दी थी और उसके बाद अपनी मरून रंग की मखमली पेंटी से अपनी बेशकीमती गांड को ढँक ली।
इस नजारे को देखते ही राहुल को लगने लगा की कहीं उसके लंड से पानी का फव्वारा ना छूट पड़े .... उसके लंड में हल्का-हल्का और मीठा दर्द होने लगा था। लंड की नसें लंड के ऊपर ही ऊपस आई थी। नसों में खून का दौरा तीव्र गति से हो रहा था। ऐसा लगने लगा था कि लंड की नसे फट जाएंगी।
विनीत की भाभी खास करके राहुल को अपनी गदराई गांड ही दिखाना चाहती थी इसीलिए तो साड़ी को एकदम कमर के उपर तक चढ़ा ली थी ताकि राहुल जी भरके उसकी गांड के दर्शन कर सके। उसे तो इतना यकीन ही था कि राहुल जरूर उसकी नग्नता का दर्शन कर रहा होगा लेकिन फिर भी अपनी तसल्ली के लिए वैसे ही साड़ी को कमर तक उठा कर पकड़े हुए अपनी गर्दन घुमा कर राहुल की तरफ देखी और राहुल को अपनी ही तरफ देखते हुए पाकर कामुक मुस्कान बिखेरने लगी।

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विनीत की भाभी ट्रांसपेरेंट साड़ी में कुछ इस तरह से
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नीचे झुक कर ब्लाउज मैसे झाँकती अपनी चुचियों की लाइन दिखाते हुए
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अपने विशाल उभार को दिखाते हुए
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