28-05-2014, 10:33 PM
चूत श्रृंगार
28-05-2014, 10:33 PM
जाने क्या सोच कर मेरे माता-पिता ने मेरा नाम कमला रख़ दिया था, यों तो कमला लक्ष्मी का नाम है, पर मुझे सदा धन की कमी रही है, भाग्य ने कभी साथ नहीं दिया, गर्भ में बच्चा आते ही पति का देहान्त हो गया और बच्चा पैदा हुआ तो मरा हुआ ! जिस औरत का न पति हो, न बच्चा और जो भाई के टुकड़ों पर पल रही हो, उसे आप अभागिन नहीं तो और क्या कहेंगे?
भाई के डर से ऐसे कपड़े पहनती थी कि कोई अंग ना दिखाई दे। बस शरीर बन्द-गोभी बन कर रह गया था। यह जीवन भी कोई जीवन है ! उस औरत के जीवन को आप क्या कहेंगे जिसका बदन कोई मर्द ना देखे और वो खुद ही को शीशे में देखे और खुद ही अपने बदन को सहलाए। दिन भर कोई मर्द दिखाई नहीं देता था, तो किसको याद कर चूत में उंगली लेती, अपने मम्मे खुद दबाती और खुद अपनी उंगली अपनी चूत में डालती और सिसकती। यह सब कितने दिन चलता? आखिर दिल ने हार मान ली। काम वाली बाई ने कहा- बहन, मेरे दूध से मेरे बेटे का पेट नहीं भरता। तो मैंने तुरन्त कहा- मैं पिला देती हूँ।
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